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India Daily

Ayodhya Ke Ram: चंदन भारद्वाज की डायरी से- अयोध्या में मिथिला का रंग, 'आजु अयोध्या नगरीया निहाल सखियां'

Ayodhya Ke Ram: अयोध्या में 22 जनवरी को भगवान राम अपने घर में विराजमान होंगे. इसको लेकर तैयारियां अंतिम चरण में है. राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले अयोध्या नगरी सज-धजकर तैयार हो रही है. इसी बीच पेश है इंडिया डेली लाइव के संवाददाता चंदन भारद्वाज की डायरी से- अयोध्या में मिथिला का रंग.

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Edited By: Purushottam Kumar
Ayodhya

हाइलाइट्स

  • 22 जनवरी को अपने घर में विराजमान होंगे भगवान राम
  • भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी जोरों पर है
  • अयोध्या में इन दिनों देखने को मिल रहा है मिथिला का रंग

Ayodhya Ke Ram: अयोध्या में आज सुबह से ही एक अलग उत्साह नजर आ रहा है , प्राण प्रतिष्ठा को लेकर चल रही तैयारियां के बीच आज अयोध्या में सड़कों पर एक अलग ही कौतुहलता है , हमारी मीडिया की गाड़ी देखकर लोग खुद आगे से पूछ रहे हैं की "का भइया कारसेवकपुरम जा रहे हो न". इससे पहले की आपके मन में सवाल में आए की ये राहगीरों को कैसे पता में कहा जा रहा हूं तो इसका जवाब में खुद ही दे देता हूं दरअसल आज अयोध्या में रामजी के ससुराल से लोग आए हैं . हमें रात में ही पता चल गया था की अयोध्या में कल सुबह रामजी के सासुर जनकपुर से सब भार लेकर आ रहे हैं .

मैं आज के दिन के लिए ज्यादा रोमांचित इसीलिए भी था क्युकी मेरी मातृभूमि मिथिला ही है तो ऐसे में आज अपने स्वजनों से भेट होनी थी . मेरी गाड़ी जैसे ही कारसेवकपुरम के गेट से अंदर घुसी बिहार नंबर की कई साड़ी बोलेरो और स्कार्पियो देखकर ऐसा लगा मानों गांव से कोई बारात आई हो . गाड़ी से उतर कर हाथ में माइक लिए आगे एक समूह बनाकर खड़े लोगों के पास पहुचा तो उनके द्वारा आपस में बातचीत के दौरान प्रयोग की जा रही मैथली भाषा सुनकर मेरे मुंह से भी मैथली निकली और मैंने जोश में सबसे पूछा " हे यौ, केहन छी?" बस ये पूछने भर की मेरी देरी थी की सब लोगों के चेहरे खिल उठें और फिर उनकी शुद्ध मैथली और मेरी आधी हिंदी आधी मैथली के रीमिक्स में वार्तालाप होने लगी.

उत्साहित युवाओं का एक समूह इतनी देर में मुझे एक बड़े हाल की तरफ लेकर आ गया जहां जनकपुर से रामलला के नए घर में आगमन यानी गृहप्रवेश के लिए इतने उपहार आए की उन्हें देखकर में अचंभित रह गया. सोचा गिनती कर लेता हूं पर संख्या इतनी ज्यादा थी की सोचा इसमें समय लगाने के बजाय ये देखा जाए की क्या-क्या आया है.

हमारे मिथिला में ये परंपरा है की बिटिया की शादी, विदाई, गृहप्रवेश या उसके घर किसी भी विशेष प्रयोजन में भार यानी उपहार भेजा जाता है. इसमें जरूरत की सभी वस्तुओं को शामिल किया जाता है. 

अयोध्या में मौका मिथिला की बेटी सीता के पति यानी जनकपुर के दामाद के घर का गृह प्रवेश है इसीलिए जनकपुर से तीन हज़ार के करीब सामान भार में आया है. हमारे मिथिला में परंपरा है की खाद्य पदार्थ जो भार में जाता है उन्हें चंगेरा यानी लकड़ी की भी टोकरी में लाल कपडे से बांध कर भेजा जाता है और यहां भी जो भार में सामन आया है ऐसे ही आया है.

जनकपुर से आए भार में खाने का सभी सामान और ड्राई फ्रूट शामिल है. साथ ही दामाद जी भगवान राम के लिए भार में चांदी के बरतन, सोने के आभूषण और तरह-तरह के गहने जेवर भेजे गए हैं. इसमें भगवान ने जिस धनुष को स्वयंवर के लिए तोड़ा था. उसका भी सांकेतिक स्वरूप चांदी का बना हुआ आया है. सोने की खड़ाऊं और मिथिला का पान और मछली हर कुछ रामलला के सनेश में शामिल है. 

इनसभी चीज़ों को में अपने कैमरे में कैद करता हुआ अपने शब्द देकर लगातार इंडिया डेली लाइव के माध्यम से पूरे देश को दिखा रहा था और इसी दौरान मैथली गीत के स्वर मेरे कान में जैसे ही पड़े में महिलाओं की उस टोली के पास पहुचा गया जो ये गीत गा रही थी, बस फिर क्या था मैंने उनसे अनुरोध किया कि एक बार वो "आज मिथिला नगरीया निहाल सखियां" सुना दे मेरे कहने भर की देर थी कि एकसाथ सभी महिलायें रामजी के विवाह के समय गाए गए इस लोकगीत को गाने लगी और में झूमने लगा. गीत के बाद हंसी ठिठोली का एक दौर चला और बड़ी मुश्किल से में सबके सामने हाथ जोड़ता हुआ वह से विदा हुआ.

यक़ीनन आज का दिन अलग था खास था , एक महीने से घर से दूर था पर आज सभी से मिल कर ऐसा लगा अपने गांव आ गया हूं. मिथिला का होने के कारण एहसास हुआ की में तो अपने जीजा जी के घर में हूं और यही भाव लिए में निकल पड़ा अपनी दीदी के ससुराल की गलियों को खंगालने.