BJP: जनतांत्रिक लोकतंत्र गठबंधन में इस बार नीतीश कुमार की जेडीयू और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी किंग मेकर बनकर उभरी है. बीजपी के बाद एनडीए में इन्हीं दो पार्टियों को सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं. दोनों पार्टियों ने अहम मंत्रालयों की मांग भी की है. लेकिन बीजेपी ने लक्ष्मण रेखा खींच दी है. वह आसानी से बड़े मंत्रालयों को अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहेगी. मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर एनडीए के सहयोगी दलों में खींचा तानी देखने को मिल सकती है. लेकिन बीजेपी नहीं चाहेगी की उसके सहयोगी दल उससे नाराज हों.
16 सीटे पानी वाली टीडीपी और 12 सीटें पाने वाली जेडीयू की नजर बड़े मंत्रलायों पर हैं. शुरुआत बातचीती में एनडीए के सहयोगी दलों ने 4 सांसदों पर एक मंत्री पद की मांग की है. टीडीपी ने चार तो जेडीयू ने 3 मंत्री पद की मांग की हैं. वहीं, एकनाथ शिंदे की 7 सीटों वाली शिवसेन और चिराग पासवान की 5 सीटों वाली एलजेपी को 2-2 मंत्रालयों की उम्मीद है.
सूत्रों की मानें तो चंद्रबाबू की नजर लोकसभा स्पीकर पर है. लेकिन बीजेपी उनकी इस मांग को पूरा करने के लिए तैयार नहीं दिख रही है. टीडीपी इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की भी मांग कर सकती है.
लोकसभा चुनाव में 240 सीटें पाने वाली बीजेपी बहुमत से 32 सीट दूर रह गई. ऐसे में मोदी के 3.0 सरकार गठन में एनडीए में शामिल सहयोगी दलों की भूमिका बढ़ गई है. इतना ही सरकार चलाने में सहयोगी दलों की बातों को बीजेपी के लिए दरकिनार करना भी आसान नहीं होगा.
तेलुगु देशम पार्टी (TDP), जनता दल यूनाइटेड (JDU), लोक जनसत्ता पार्टी (LJP) और शिवसेना (एकनाथ शिंदे) के कुल 40 सांसद हैं. ये 40 सांसद अगले 5 साल तक अहम भूमिका में रहेंगे. क्योंकि इनके एनडीए में शामिल रहने पर ही बीजेपी सरकार चला पाएगी.
इससे पहले मोदी सरकार के दो कार्यकाल में बीजेपी के पास बहुमत था. उस दौरान एनडीए में शामिल बीजेपी के अलावा अन्य दलों के पास प्रमुख मंत्रालय नहीं था. लेकिन 2024 में परिणाम बिल्कुल अलग हैं. बीजेपी के पास बहुमत न होने की वजह से पार्टी को केंद्रीय मंत्रालयों का बंटवारा एनडीए के सहयोगी दलों की सीटों के आधार पर करना होगा.
बीजेपी चाहेगी की उसके पास गृह, विदेश और रक्षा मंत्रालय के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, कल्याणकारी योजनाओं, युवाओं और कृषि से संबंधित मंत्रालय उसके पास ही रहें. योजनाओं को लागू करने के लिए ये मंत्रालय बहुत ही जरूर हैं. क्योंकि इन्हीं मंत्रालयों से गरीब, महिला, युवा और किसान वोटरों का साधने में मदद मिलेगी.
बीजेपी ने दावा किया है कि उसने एनडीए के पहले और दूसरे कार्यकाल में रेलवे और ट्रांसपोर्ट में महत्वपूर्ण विकास और बदलाव किया है. पार्टी नहीं चाहती है कि इन मंत्रालयों को दूसरे को देकर विकास की गति और बदलाव को धीमा किया जाए.
सूत्रों की मानें तो बीजेपी जेडीयू पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्रालय जेडीयू को दे सकती है. वहीं, सिविल एविएशन और स्टील मंत्रालय टीडीपी को दिया जा सकता है. भारी उद्योग मंत्रालय शिवसेना को दिया जा सकता है. एनडीए के सहयोगी दलों के सांसदों को प्रमुख मंत्रालयों जैसे वित्त और डिफेंस मंत्रालय में मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट बनाया जा सकता है.
इसके अलावा ये भी संभावना है कि बीजेपी टूरिज्म, एमएसएमई, कौशल विकास, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण जैसे मंत्रालय एनडीए के सहयोगी दलों को दे सकती है. अगर चंद्रबाबू नायडू लोकसभा स्पीकर के पद पर अड़े रहते हैं तो बीजेपी शायद उन्हें डिप्टी स्पीकर का पद देकर मना सकती है.