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India Daily

5th generation fighter jet: भारत में बनने जा रहे 5वीं जनरेशन के फाइटर प्लेन में ये होंगी खूबियां, जानें कब तक बनकर होगा तैयार?

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए देश में ही 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के निर्माण की योजना को हरी झंडी दी है. यह भारत का सबसे बड़ा सैन्य अनुसंधान और विकास कार्यक्रम है, जो रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा. 

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Edited By: Garima Singh
5th generation fighter jet
Courtesy: X

Indigenous 5th generation fighter jet: भारत ने हाल ही में 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान अपनी सैन्य ताकत का शानदार प्रदर्शन किया, जिसने पड़ोसी देश पाकिस्तान को हक्का-बक्का कर दिया. इस ऑपरेशन के बाद भारत अब अपनी रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए देश में ही 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के निर्माण की योजना को हरी झंडी दी है. यह भारत का सबसे बड़ा सैन्य अनुसंधान और विकास कार्यक्रम है, जो रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा. 

एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए 'एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट' (ईओआई) जारी किया है. इसके तहत भारतीय कंपनियों से 5वीं पीढ़ी के उन्नत लड़ाकू विमानों (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट - एएमसीए) के निर्माण के लिए प्रस्ताव मांगे गए हैं. इस परियोजना का लक्ष्य 2030 तक इन विमानों को भारतीय वायुसेना का अभिन्न अंग बनाना है। सरकार ने इसके लिए 15,000 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है, जो प्रोटोटाइप विकास के लिए उपयोग होगा. इन विमानों के निर्माण में लगभग आठ साल लगने की उम्मीद है.

भारतीय कंपनियों को सुनहरा अवसर

इस परियोजना में भाग लेने के लिए कंपनियों को तकनीकी और इंजीनियरिंग क्षमता साबित करनी होगी. उन्हें डिजाइन, निर्माण, उपकरण स्थापना, परीक्षण और प्रमाणन में विशेषज्ञता दिखानी होगी. सरकार ने कंपनियों को 16 अगस्त तक अपने प्रस्ताव जमा करने का समय दिया है. इसके लिए जुलाई के पहले सप्ताह में एक बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें कंपनियों के सवालों का जवाब दिया जाएगा। इस परियोजना में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां मिलकर काम करेंगी, जिससे भारत की रक्षा तकनीक को नया आयाम मिलेगा.

HAL, L&T और अन्य दिग्गजों की नजर

इस मेगा प्रोजेक्ट में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल), टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड, अडानी डिफेंस और लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) जैसी कंपनियों के शामिल होने की संभावना है. ये कंपनियां कंसोर्टियम बनाकर इस परियोजना में बोली लगा सकती हैं. इस प्रोजेक्ट की लागत अंतिम चरण में लाखों करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है, जिससे यह भारत का सबसे बड़ा रक्षा अनुसंधान कार्यक्रम बन जाएगा.

आत्मनिर्भर भारत का सपना होगा साकार

"यह भारत का सबसे बड़ा सैन्य अनुसंधान और विकास कार्यक्रम है," सरकार ने स्पष्ट किया है। यह परियोजना न केवल भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि विदेशी आयात पर निर्भरता को भी कम करेगी. 5वीं पीढ़ी के ये लड़ाकू विमान अत्याधुनिक तकनीक से लैस होंगे, जो भारतीय वायुसेना की ताकत को कई गुना बढ़ाएंगे. इन विमानों के शामिल होने से पड़ोसी देशों, विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन, के लिए चुनौतियां बढ़ना तय है.