World No Tobacco Day: विश्व तंबाकू निषेध दिवस हर साल 31 मई को मनाया जाता है. इस साल, WHO ने ‘Unmasking the appeal: exposing industry tactics on tobacco and nicotine products’ को इस दिन के लिए थीम के रूप में चुना है, जिसका उद्देश्य तंबाकू उद्योग के प्रचार तंत्र को बेनकाब करना है.
हम सभी जानते हैं कि तंबाकू का सेवन हमारी सेहत के लिए हानिकारक है, लेकिन कई लोग इसके शिकार हैं. ऐसे में यह समझना जरूरी हो जाता है कि तंबाकू छोड़ने से हमारे शरीर में कैसे चमत्कारी सुधार होते हैं. तंबाकू छोड़ने से 20 मिनट से लेकर 20 साल तक में शरीर में होने वाले बदलाव
तंबाकू छोड़ने के महज 20 मिनट बाद, आपका दिल और ब्लड प्रेशर सामान्य स्तर पर आ जाते हैं. ब्लड सर्कुलेशन में सुधार शुरू होता है, जिससे शरीर तुरंत तंबाकू की अनुपस्थिति पर प्रतिक्रिया करता है.
धूम्रपान में पाया जाने वाला हानिकारक गैस, कार्बन मोनोऑक्साइड, रक्त से बाहर निकलने लगता है. इसके परिणामस्वरूप, शरीर में ऑक्सीजन का स्तर सामान्य हो जाता है, जिससे दिल और फेफड़ों पर दबाव कम होता है.
तंबाकू छोड़ने के 24 घंटे बाद, दिल का दौरा पड़ने का खतरा कम होना शुरू हो जाता है. शरीर तंबाकू से जुड़े विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में जुट जाता है.
तंत्रिका अंत (nerve endings) फिर से पैदा होने लगते हैं, जिससे स्वाद और गंध समझने की क्षमता बेहतर होती हैं. इस समय तक शरीर से सभी नशीले तत्व निकल चुके होते हैं.
फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार शुरू हो जाता है. सांस लेना आसान होता है, शारीरिक सहनशक्ति बढ़ती है और ऊर्जा स्तर में वृद्धि होती है क्योंकि रक्त संचार और फेफड़ों की क्षमता बेहतर हो जाती है.
फेफड़ों में पाए जाने वाले ciliaफिर से बढ़ने लगते हैं और अच्छे से काम करने लगते हैं. इससे कफ और संक्रमण को साफ करने में मदद मिलती है और खांसी कम हो जाती है.
कोरोनरी हार्ट डिजीज (दिल की बीमारी) का खतरा वर्तमान धूम्रपान करने वालों की तुलना में आधा हो जाता है. दिल, ब्ल्ड वेसेल्स, फेफड़ों की मरम्मत प्रक्रिया जारी रहती है.
स्ट्रोक का खतरा काफी कम हो जाता है और यह नॉन-स्मोकर्स के स्तर पर पहुंच सकता है. मुंह, गले, आंत और मूत्राशय के कैंसर का खतरा भी घट जाता है.
फेफड़ों के कैंसर से मरने का खतरा धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के मुकाबले लगभग आधा हो जाता है. इसके अलावा, गले और पैंक्रियास (आग्याशय) के कैंसर का खतरा भी कम हो जाता है.
इस समय तक, कोरोनरी हार्ट डिजीज का खतरा लगभग उतना ही हो जाता है, जितना कि कभी न धूम्रपान करने वालों का होता है. स्ट्रोक और कई प्रकार के कैंसर का खतरा भी न्यूनतम स्तर पर पहुंच जाता है.
यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.