Year Ender 2025: साल 2025 अब विदा ले रहा है. ये साल काफी उतार चढ़ाव भरा रहा. इस साल भारत ने कई ऐसे मंजर देखे हैं, जिसे भूला पाना किसी के लिए भी आसान नहीं होगा. इन आपदाओं के अलावा इस साल देश को कई खतरनाक बीमारियों से भी गुजरना पड़ा. इस साल क्या बच्चे क्या बूढ़े, इन बीमारियों ने किसी को भी नहीं बख्शा.
साल 2025 में अस्पतालों में मरीजों का तांता लगा रहा. तो आज हम आपको इस आर्टिकल में साल 2025 में सेहत से जुड़ी 5 बीमारियों के बारे में बताने वाले हैं.
इस साल के अंत में भारत की राजधानी दिल्ली का दम प्रदूषण ने घोटा. दीवाली के पहले से ही दिल्ली की हवा में प्रदूषण दिखने लगा था. दीवाली के बाद दिल्ली की खराब हवा (AQI) ने लोगों का दम घोंटा. इस प्रदूषण के कारण लोगों में गंभीर बीमारी देखने को मिली. न केवल बड़े बल्कि छोटे बच्चों को भी इस कारण गंभीर समस्याओं से गुजरना पड़ा. लोगों में प्रदूषण के कारण सांस की समस्या देखने को मिला.
प्रदूषण के बात इस साल की सबसे बड़ी समस्या दिल का दौरा रही. पहले यह समस्या बुजुर्गों या 50 से ज्यादा की आयु वालों में पाई जाती थी. लेकिन इस साल 25 से 40 साल के युवाओं में ज्यादातर देखने को मिली. युवाओं में हार्ट अटैक के मामले तेजी से देखने को मिल रहे हैं.
2025 में इन्फ्लूएंजा के ऐसे वैरिएंट देखे गए, जिसमें बुखार और खांसी लोगों को छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी. इस वैरिएंट के कारण बुखार 3 दिन में ठीक हो रहे थे, और खांसी तो हफ्तों-हफ्तों छोड़ने का नाम नहीं ले रही थी. डॉक्टर्स ने इसे 'लॉन्ग लास्टिंग कफ' का नाम दिया.
जब बरसात आते हैं तो अपने साथ उपहार के तौर पर डेंगू और मलेरिया भी लाते हैं. हर साल लगभग हर घर में एक न एक व्यक्ति तो डेंगू की समस्या से जूझता ही है. लेकिन ये साल कुछ अलग था.
इस साल जलवायु परिवर्तन के कारण का प्रकोप अभी भी देखने को मिल रहा है. जहां हर साल डेंगू का असर कुछ दिनों में कम होने लगता था लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है. इस बार डेंगू लिवर पर भी अपना असर छोड़ रहा है.
डेंगू के बाद इस लोगों में फैटी लिवर की भी समस्या देखने को मिली. 2025 में बहुत से ऐसे लोग थे जिन्हें पेट और पाचन की बीमारी से गुजरना पड़ा. इस बार ज्यादा खौफ 'नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर' का रहा.
पहले के समय में यह कहा जाता था कि शराब का सेवन करने वालों को ही फैटी लिवर की समस्या से जूझना पड़ता था. लेकिन अब ये भ्रम पूरी तरह से टूट चुका है. इस साल बड़ी तादाद में बच्चों और युवाओं के लिवर में सूजन देखा गया.