किडनी शरीर को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. यह खून को फिल्टर करने, मिनरल और फ्लूइड बैलेंस बनाए रखने और टॉक्सिन को बाहर निकालने का काम करती है. लेकिन जब किडनी धीरे धीरे कमजोर होने लगती है, तो इसका असर कई बार सबसे पहले त्वचा पर दिखाई देता है. क्रॉनिक किडनी डिजीज यानी CKD के शुरुआती और बढ़ते स्टेज में स्किन कई संकेत देती है जिनको समय पर पहचानना जरूरी है. डॉक्टरों के मुताबिक ब्लड और यूरिन टेस्ट किडनी रोग का मुख्य आधार हैं, लेकिन त्वचा के लक्षण बीमारी की प्रगति का शुरुआती संकेत बन सकते हैं.
बहुत सूखी और खुरदरी त्वचा किडनी कमजोर होने का एक आम लक्षण है. रिपोर्ट के अनुसार CKD वाले करीब 72 प्रतिशत लोगों में जेरोसिस देखने को मिलता है. किडनी पसीने और ऑयल ग्लैंड को नियंत्रित करने में मदद करती है. जब किडनी ठीक से काम नहीं करती, तो त्वचा अपनी नमी खोने लगती है और अत्यधिक रूखापन दिखाई देता है.
सूखी त्वचा में दरारें पड़ सकती हैं, जिससे इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. कई बार यह लक्षण पीलापन, खुजली या अन्य संकेतों से पहले ही दिखाई देता है. इससे राहत के लिए हल्के मॉइस्चराइजर का इस्तेमाल, कम गर्म पानी से नहाना और हवा पास होने वाले कपड़े पहनना फायदेमंद है. अगर सूखापन लंबे समय तक बना रहे तो किडनी की जांच करवाना जरूरी है.
किडनी बीमारी में लगातार तेज खुजली एक सामान्य समस्या है. शरीर में यूरिया और अन्य टॉक्सिन बढ़ने पर त्वचा के नर्व प्रभावित होते हैं, जिससे खुजली बढ़ती है. करीब 56 प्रतिशत CKD मरीज इस परेशानी का सामना करते हैं. यह अक्सर शरीर में फॉस्फोरस और पीटीएच लेवल बढ़ने से जुड़ी होती है.
लगातार खुजलाने से त्वचा पर निशान, घाव या मोटे पैच बन सकते हैं. कई लोगों में खुजली इतनी बढ़ जाती है कि नींद और दिनचर्या दोनों प्रभावित होने लगते हैं. डॉक्टर इस समस्या में आमतौर पर टॉपिकल क्रीम, UVB थेरेपी या ओटमील बाथ की सलाह देते हैं, लेकिन असली इलाज किडनी समस्या को नियंत्रित करना है.
किडनी के ज्यादा खराब होने पर त्वचा पर रैशेज या छोटे छोटे दाने दिखने लगते हैं. खून में कचरा बढ़ जाने पर त्वचा पर छोटे खुजली वाले बम्प्स बनते हैं जो बाद में खुरदरे पैच बन सकते हैं. कई मरीजों में बैंगनी धब्बे या घाव जैसे लक्षण भी सामने आते हैं. एक गंभीर स्थिति कैल्सिफिलैक्सिस भी किडनी फेलियर से जुड़ी होती है जिसमें त्वचा कड़ी और अल्सर जैसी बन जाती है. लगभग 43 प्रतिशत CKD मरीज त्वचा के फंगल या बैक्टीरियल इंफेक्शन से भी परेशान रहते हैं.
माइल्ड और फ्रेगरेंस फ्री साबुन का इस्तेमाल, त्वचा को रगड़ने के बजाय हल्के हाथ से पोंछना और साफ सफाई बनाए रखना राहत देता है. लेकिन अगर रैश बढ़ने लगे, दर्द हो या पस आने लगे तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना जरूरी है.
किडनी रोग धीरे धीरे बढ़ने वाली बीमारी है. अगर त्वचा पर सूखापन, लगातार खुजली या दाने जैसे संकेत दिखें तो इन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. समय रहते जांच करवा लेने से बीमारी की रफ्तार को धीमा किया जा सकता है और किडनी को डैमेज होने से बचाया जा सकता है.