Velu Prabhakaran Death: तमिल फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर डायरेक्टर, और एक्टर वेलु प्रभाकरन का 18 जुलाई 2025 को चेन्नई के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया है. 68 साल के वेलु लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे और गुरुवार को उनकी हालत गंभीर होने के बाद उन्हें गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में भर्ती किया गया था. उनकी मृत्यु की खबर ने तमिल सिनेमा जगत में शोक की लहर दौड़ा दी है. आइए, उनके जीवन, करियर और सिनेमाई योगदान पर नजर डालते हैं.
वेलु प्रभाकरन का निधन शुक्रवार सुबह 5:30 बजे चेन्नई के कोट्टिवक्कम स्थित प्रभोत अस्पताल में हुआ. उनकी टीम ने गुरुवार को X पर पोस्ट किया था, 'डायरेक्टर वेलु प्रभाकरन आज सुबह से गंभीर हालत में थे. वह कड़ी चिकित्सकीय निगरानी में हैं, और डॉक्टरों ने उनकी हालत को बेहद गंभीर बताया है.'
वेलु का पार्थिव शरीर 19 जुलाई की शाम से 20 जुलाई की दोपहर तक चेन्नई के वलसरवक्कम स्थित उनके निवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा. उनका अंतिम संस्कार 20 जुलाई की शाम को पोरुर श्मशान घाट पर किया जाएगा.
वेलु प्रभाकरन ने 1980 में फिल्म 'इवर्गल विथ्यासमानवर्गल' के साथ छायाकार के रूप में अपने करियर की शुरुआत की. 1989 में उन्होंने हॉरर फिल्म 'नलया मणिथन' के साथ निर्देशन में कदम रखा, जिसका सीक्वल 'अधिसया मणिथन' (1990) भी उन्होंने बनाया. उनकी फिल्में नास्तिकता, जाति व्यवस्था, और कामुकता जैसे संवेदनशील विषयों पर आधारित थीं, जो अक्सर विवादों का केंद्र बनती थीं. उनकी प्रमुख फिल्मों में 'कदवुल' (1997), 'शिवन' (1999), 'पुरचिक्कारन' (2000), और 'कधल कढ़ाई' (2009) शामिल हैं. 'कदवुल' के लिए उन्हें तमिलनाडु स्टेट फिल्म अवॉर्ड फॉर बेस्ट डायलॉग राइटर भी मिला.
2004 में उनकी फिल्म 'कधल आरंगम' (बाद में 'कधल कढ़ाई' के नाम से रिलीज) सेंसर बोर्ड के साथ विवादों में फंस गई थी. इस फिल्म में वेलु ने सामाजिक नैतिकताओं और कामुकता पर सवाल उठाए, जिसके कारण सेंसर बोर्ड ने कुछ दृश्यों और संवादों पर आपत्ति जताई. वेलु ने इस फिल्म में एक डायरेक्टर की भूमिका भी निभाई, जिसमें आत्मकथात्मक तत्व शामिल थे. उनकी आखिरी डायरेक्टरीय फिल्म 'ओरु इयाक्कुनारिन कधल डायरी' (2017) थी, जबकि एक्टर के रूप में उनकी अंतिम फिल्म 'गजाना' (2025) थी.