मुंबई: तमिल सिनेमा के सुपरस्टार रजनीकांत आज 75 साल के हो गए. पूरा देश उनके जन्मदिन की बधाई दे रहा है. इस खास मौके पर फिल्म 'चालबाज' के डायरेक्टर पंकज पाराशर ने रजनी सर की सादगी और विनम्रता की कुछ पुरानी कहानियां याद कीं, जो सुनकर हर फैन का दिल खुश हो जाता है. पंकज पाराशर बताते हैं कि जब 'चालबाज' (1989) बन रही थी, तब रजनीकांत पहले से ही तमिल फिल्मों के मेगा सुपरस्टार थे. लेकिन जैसे ही उन्होंने स्क्रिप्ट पढ़ी, उन्हें तुरंत समझ आ गया कि यह फिल्म पूरी तरह श्रीदेवी की है.
उन्होंने बिना एक शब्द बोले डायरेक्टर से कहा- 'ये श्रीदेवी की फिल्म है. अगर मैं अपना वाला सुपरहीरो स्टाइल लाया तो फिल्म खराब हो जाएगी.' फिर क्या था! रजनीकांत ने अपने रोल को पूरी तरह बदल दिया. वे डरे-सहमे, मजाकिया और कमजोर इंसान बने. भूत देखकर चीखने लगते थे, डर के मारे कांपते थे. आमतौर पर कोई भी बड़ा स्टार ऐसा रोल स्वीकार नहीं करता, लेकिन रजनी सर ने इसे हंसते-हंसते कर दिखाया. ज्यादातर कॉमेडी सीन उन्होंने खुद ही इम्प्रोवाइज किए थे. सेट पर श्रीदेवी को देखते ही प्यार से पुकारते थे – 'श्रीदेवा!' ये उनका प्राइवेट जोक था, जो दोनों के बीच गजब की बॉन्डिंग दिखाता था. लेकिन असली हैरानी तो ऑफ-कैमरा कहानियों में है.
पंकज पाराशर बताते हैं कि रजनीकांत बिना ड्राइवर, बिना मैनेजर, बिना बॉडीगार्ड के खुद अपनी पुरानी फिएट कार चलाकर सेट पर आते थे. एक दिन शूटिंग खत्म होने के बाद उन्होंने डायरेक्टर को होटल छोड़ने का ऑफर दिया. कार की एसी खराब थी, तो पाराशर ने खिड़की नीचे कर ली. रजनी सर तुरंत बोले, 'नहीं-नहीं खिड़की मत नीचे करो, कोई देख लेगा तो गलत (हंगामा) हो जाएगा!'
पाराशर को पहले यकीन नहीं हुआ, लेकिन जैसे ही कार रुकी, सैकड़ों लोग दौड़ते हुए आ गए. थलाइवा को देखते ही सड़क जाम! सबसे खूबसूरत बात जो पंकज पाराशर ने बताई, वो ये कि रजनीकांत अहंकार से दूर कैसे रहते हैं. वे बोले, 'रजनी जी हर साल हिमालय जाते हैं. वहां आश्रम में रुकते हैं, खुद झाड़ू लगाते हैं, बर्तन मांजते हैं, जमीन पर सोते हैं. कोई स्पेशल कमरा या सुविधा नहीं लेते. कहते हैं – इससे अहंकार दूर रहता है और मन शांत रहता है.' 75 साल की उम्र में भी रजनीकांत का स्टाइल, एनर्जी और सादगी बेमिसाल है. फैंस उन्हें भगवान मानते हैं, लेकिन थलाइवा खुद को सबसे साधारण इंसान मानते हैं.