HS Venkatesh Murthy Died: कन्नड़ साहित्य के मशहूर कवि, नाटककार और गीतकार एचएस वेंकटेश मूर्ति का शुक्रवार, 30 मई 2025 को बेंगलुरु में 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया.वे बुढ़ापे से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे.उनके निधन की खबर से कन्नड़ साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई. एचएस वेंकटेश मूर्ति की कविताएं आधुनिकता और पारंपरिक विषयों का अनूठा मिश्रण थीं.उनकी रचनाएं भावनात्मक गहराई के लिए जानी जाती थीं, जिन्हें कन्नड़ सुगम संगीत के युग में 'भावगीत' के रूप में लोकप्रियता मिली.
उनकी कई कविताएं ऑडियो कैसेट पर रिकॉर्ड की गईं, जिसके कारण उन्हें 'कैसेट कवि' के नाम से भी जाना गया.1968 में उनके पहले कविता संग्रह परिव्रत्त ने साहित्य जगत में उनकी मजबूत शुरुआत की.उनकी प्रमुख कृति बुद्धचरण (2020) बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं का काव्यात्मक पुनर्कथन है, जिसने पाठकों और आलोचकों का दिल जीता.
आलोचक एसआर विजयशंकर के अनुसार, वेंकटेश मूर्ति ने नव्या आंदोलन के दिग्गज गोपालकृष्ण अडिगा की छाया से बाहर निकलकर अपनी अनूठी शैली बनाई. उनकी कविताएं पु.ति. नरसिम्हाचर और केएस नरसिम्हास्वामी की शैली से प्रेरित थीं, जो भावनात्मक और सरल थीं. वेंकटेश मूर्ति केवल कवि ही नहीं, बल्कि एक प्रतिभाशाली नाटककार भी थे. उनके नाटक उरिया उय्याले, अग्निवर्ण और मंथरे ने कन्नड़ रंगमंच में खास जगह बनाई. बच्चों के लिए उनकी रचनाएं भी उतनी ही लोकप्रिय थीं. उन्होंने बच्चों के लिए गीत, कविताएं, नाटक और कहानियां लिखीं.उनकी कहानी चिन्नारी मुथा पर बनी फिल्म ने राष्ट्रीय पुरस्कार जीता, जो उनकी रचनात्मकता का प्रमाण है.
2018 में वेंकटेश मूर्ति ने अपनी जिंदगी के एक हिस्से पर आधारित फिल्म हसीरू रिबन का निर्देशन किया.इसके अलावा, उन्होंने कन्नड़ फिल्मों और टेलीविजन धारावाहिकों के लिए गीत लिखकर दर्शकों का मनोरंजन किया.उनकी लेखनी ने हर माध्यम में अपनी छाप छोड़ी.
कविता और नाटक के अलावा, वेंकटेश मूर्ति ने कई संस्मरण और एक आत्मकथा भी लिखी. इन रचनाओं में उनकी जिंदगी के अनुभव और साहित्यिक यात्रा की गहराई साफ झलकती है.उनकी लेखनी में संवेदनशीलता और विचारों की गहराई थी, जो पाठकों को हमेशा प्रेरित करती रही.