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India Daily

देश से गद्दारी कर CRPF जवान पाक को दे रहा था खुफिया डिटेल्स, अमित शाह के मूवमेंट पर भी थी नजर; पूछताछ में हुआ खुलासा

सीआरपीएफ के जवान मोती राम जाट पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का गंभीर आरोप लगा है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उसे गिरफ्तार करके पूछताछ शुरू कर दी है.

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Edited By: Princy Sharma
Pakistan Spy
Courtesy: Social Media

Pakistan Spy: सीआरपीएफ के जवान मोती राम जाट पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का गंभीर आरोप लगा है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उसे गिरफ्तार करके पूछताछ शुरू कर दी है. मोती राम पर यह आरोप है कि उसने जरूरी सुरक्षा जानकारी पाकिस्तान के एजेंटों के साथ शेयर की और इसके बदले मोटी रकम हासिल की. उसने यह भी खुलासा किया कि पाकिस्तान के खुफिया अधिकारी पत्रकार बनकर उससे जानकारियां लेते थे.

मोती राम जाट पहलगाम में सीआरपीएफ की एक बटालियन में तैनात था. 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के कुछ ही दिन पहले उसका जम्मू-कश्मीर से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया गया था. पूछताछ में मोती राम ने यह स्वीकार किया कि उसने गृह मंत्री अमित शाह के जम्मू-कश्मीर दौरे की जानकारी पाकिस्तानी अधिकारियों को दी थी. इसके अलावा उसने सुरक्षा बलों की तैनाती, आतंकवादियों के संभावित ठिकाने और सीआरपीएफ जवानों की आवाजाही की भी जानकारी साझा की थी.

पाकिस्तानी अधिकारी बने पत्रकार

इस मामले में और भी चौंकाने वाली बातें सामने आईं. मोती राम जाट ने बताया कि एक महिला पत्रकार ने उसे संपर्क किया और जानकारियां देने की पेशकश की. वह महिला एक प्रमुख टीवी चैनल से जुड़ी हुई थी. इसके बाद पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी उसी चैनल के पत्रकार बनकर उसके संपर्क में आए और महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की.

कितने पैसे मिले जासूसी के लिए?

पूछताछ में मोती राम ने यह भी बताया कि उसे पाकिस्तानी अधिकारियों से 3,500 रुपये प्रति माह मिलते थे, जबकि महत्वपूर्ण जानकारियां देने के लिए उसे अतिरिक्त 12,000 रुपये दिए जाते थे. यह पैसा उसे और उसकी पत्नी के बैंक खातों में आता था. सीआरपीएफ और खुफिया एजेंसियों ने मोती राम के फोन की जांच की और पाया कि उसने कोई भी संदेश डिलीट नहीं किया था. उसके फोन में सुरक्षा बलों की तैनाती, खुफिया रिपोर्ट्स और अन्य संवेदनशील दस्तावेज पाकिस्तानी अधिकारियों को भेजे गए थे.

जासूसी का लंबा सिलसिला 

सूत्रों ने बताया कि मोती राम की गतिविधियों पर काफी समय से नजर रखी जा रही थी. पहलगाम आतंकी हमले से ठीक पहले उसका दिल्ली ट्रांसफर किया गया था, लेकिन इसके बावजूद उसने गृह मंत्री अमित शाह के दौरे की जानकारी पाकिस्तानी एजेंटों को दी. यह मामला गंभीर सवाल खड़े करता है कि सेना के जवान किस हद तक अपने कर्तव्यों से पीछे हट सकते हैं और राष्ट्र के खिलाफ खड़ा हो सकते हैं. NIA ने इस मामले की गहन जांच शुरू कर दी है, और जल्द ही और भी कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आ सकती हैं.