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लोकसभा चुनाव में अब तक नहीं दिखा फतवों का शोर, आखिर क्यों खामोश हैं मौलवी-उलेमा

lok sabha election 2024: आगामी लोकसभा चुनावों से पहले अब तक फतवों का शोर नहीं दिखा है. मौलवी और उलेमाओं ने बड़े बयानों पर चुप्पी साध ली है.

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Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग में अब बस कुछ ही दिन बचे हैं. राजनीतिक पार्टियां पूरे जोर शोर से प्रचार में जुटी हुई है. बयानबाजी का दौर भी चल रहा है, लेकिन इस बार चुनाव से पहले जो एक चीज गायब है वो है फतवों का शोर. उलेमाओं या मौलवियों के बयान और अपीलें फिलहाल सुनने को नहीं मिल रही हैं. 

इस्लामिक मदरसा दारुल उलूम देवबंद या ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सहित किसी भी प्रमुख मुस्लिम संगठन ने समुदाय के लोगों से अब तक कोई अपील नहीं की है और न ही किसी पार्टी को वोट देने को लेकर फतवा जारी किया है. मौलवियों ने बड़े बयानों पर चुप्पी साध ली है. मुस्लिम समुदाय के नेताओं का कहना है कि ये चुप्पी रणनीतिक है.

ध्रुवीकरण को लेकर डर

अभी तक न तो प्रमुख मुस्लिम संगठनों के प्रमुखों और न ही दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम ने चुनावों को लेकर किसी भी तरह की अपील जारी की है. ऑल इंडिया मजलिस के पूर्व प्रमुख नावेद हामिद का कहना है कि मुस्लिम संगठन और उनके मौलवी कोई मुखर अपील नहीं कर रहे हैं. वे जानते हैं कि ये कदम बहुसंख्यक मतदाताओं का ध्रुवीकरण करेगा.

लोगों पर ही छोड़ा फैसला

इससे पहले के चुनावों में मौलवियों की तरफ से राजनीतिक बयान देखने को मिल जाता था. जिससे कई बार उन्हें आलोचना का सामना भी करना पड़ता था. इस बार वे चुप हैं और इसे लोगों पर ही फैसला छोड़ रहे हैं. अंजुमन-ए-इस्लाम के प्रमुख ज़हीर काज़ी इसे मौलवियों की राजनीतिक परिपक्वता बता रहे हैं.