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'RSS लिंक से भर्ती होते हैं वाइस चांसलर', राहुल गांधी पर शिक्षाविदों ने खोला मोर्चा, समझिए पूरा केस

Rahul Gandhi Vice Chancellor Row: कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान से एक बार फिर से विवाद मच गया है जिन्होंने देशभर के शिक्षाविदों को लेकर ऐसा दावा किया है कि वो उनके खिलाफ हो गए हैं. राहुल गांधी ने शिक्षाविदों पर आरएसएस को लेकर ऐसे आरोप लगाए हैं जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस नेता के नाम ओपन लेटर लिख दिया है. आइये समझें पूरा मामला क्या है.

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Rahul Gandhi VC Row

Rahul Gandhi Vice Chancellor Row:  हाल ही में देश के करीब 400 से ज्यादा वकीलों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर राजनेताओं के न्यायपालिका की छवि खराब करने और उस पर लोगों के विश्वास को तोड़ने की साजिश करने का आरोप लगाया था, जिसके बाद अब देश भर के शिक्षाविदों ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के एक बयान पर देशव्यापी मोर्चा खोल दिया है.

राहुल गांधी को लेकर देश भर के 181 शिक्षाविदों और कुलपतियों ने ओपन लेटर लिखा है और उनसे जवाब देने की मांग की है. आखिर क्या मामला है जिसके चलते शिक्षाविदों को कांग्रेस नेता के खिलाफ मोर्चा खोलना पड़ा है, आइये समझते हैं.

राहुल गांधी ने क्या दिया था बयान

दरअसल राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने प्रचार के दौरान दिए गए भाषण में यूनिवर्सिटीज में होने वाली कुलपतियों की नियुक्ति और उनकी योग्यता पर सवाल उठाया था और कहा था कि आजकल देश में कुलपतियों की नियुक्ति उनकी योग्यता के आधार पर नहीं होती बल्कि कुछ संगठनों के साथ उनके संबंध कैसे हैं इस आधार पर की जा रही है.

राहुल गांधी के इस बयान ने देश भरे के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों में गुस्सा भर दिया और करीब 200 यूनिवर्सिटीज के वाइस चांसलर ने एक संयुक्त बयान जारी कर उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है.

कुलपतियों ने ओपन लेटर लिख की कार्रवाई की मांग

कुलपतियों की ओर से लिखे गए इस लेटर में उन्होंने साफ किया है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ट्वीट्स और बयानों से मिली जानकारी के अनुसार वो अफवाह फैला रहे हैं कि देश की सबसे बड़ी यूनवर्सिटीज में मेरिट की जगह आरएसएस के साथ रिश्तों के चलते भर्ती होती है.

उन्होंने लिखा,'कुलपतियों की नियुक्ति बेहद कठिन और ट्रांसपैरेंट प्रोसेस के बाद की जाती है. इसके लिए जो भी आवेदन आते हैं उनकी शैक्षिक योग्यता के साथ-साथा, मैनेजमेंट स्किल्स और यूनिवर्सिटी को आगे ले जाने के लिए उसका विजन क्या है, इन सब पर बारीकी से ध्यान दिया जाता है. हर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर के पास प्रोफेशनल एक्सपीरिएंस होना जरूरी होता है. सेलेक्शन प्रोसेस में इन बातों का ध्यान रखा जाता है, ऐसे में हम उन सभी लोगों से कहते हैं कि वो बिना किसी सबूत के कोई भी काल्पनिक बातें कर लोगों के बीच भ्रम न फैलाएं.'

राजनीतिक फायदे के लिए दिया गया ये बयान?

शिक्षाविदों ने अपने लेटर में ऐसी अफवाहों के चलते पड़ने वाले नेगेटिव इम्पैक्ट पर भी चर्चा की और कहा कि हम मेरिटोक्रेसी में यकीन रखते हैं जो कि हायर एजुकेशन के लिए बेहद जरूरी है. कुलपतियों ने पिछले कुछ सालों में यूनिवर्सिटीज की ग्लोबल रैंकिंग में आए सुधार का हवाला भी दिया और कहा कि राहुल गांधी के इस तरह के बयान सिर्फ राजनीतिक फायदा लेने के लिए यूनिवर्सिटीज को बदनाम कर रहे हैं.

आपको बता दें कि राहुल गांधी के खिलाफ जारी किए गए इस साझा बयान में संगीत नाटक अकादमी, साहित्य अकादमी, एनसीआईआरटी, नेशनल बुक ट्रस्ट, एआईसीटीई, यूजीसी समेत 180 यूनिवर्सिटीज के वाइस चांसलर्स और शिक्षाविदों ने साइन किए हैं.