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नाले के पानी से स्नान, सूर्य देवता को दिया जल... शिप्रा में क्यों उतरे उज्जैन सीट से कांग्रेस प्रत्याशी महेश परमार?

Ujjain News: मध्य प्रदेश की उज्जैन लोकसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी अचानक उस वक्त चर्चा में आ गए, जब वे शिप्रा नदी में गिर रहे नाले के पानी के बीच स्नान किया और सूर्य देवता को जल अर्पित किया. उन्होंने इस दौरान शपथ भी ली और कहा कि मैं मां शिप्रा के लिए लड़ाई लड़ता रहूंगा. आइए, जानते हैं पूरा मामला.

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Ujjain News: शिप्रा नदी के रामघाट पर शहर से निकले वाले नालों का पानी मिलता है. इसके खिलाफ आज उज्जैन लोकसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी महेश परमार ने अनोखा विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने नदी में गिरने वाले नाले के पानी के बीच न सिर्फ स्नान किया, बल्कि शपथ भी ली कि जब तक जिंदा हूं, जीवनदायिनी मां शिप्रा के लिए संघर्ष करता रहूंगा.

उज्जैन में रामघाट की काफी मान्यता है. कहा जाता है कि भगवान श्रीराम अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए शिप्रा नदी के किनारे बैठकर अनुष्ठान किया था. उस स्थान को रामघाट के नाम से जाना जाता है. उज्जैन आने वाले तीर्थयात्री शिप्रा नदी में स्नान के बाद पूजा अर्चना के लिए जाते हैं. लेकिन अब यहां की स्थिति काफी खराब है. 

शिप्रा के जल में गिरता है नालों का पानी

न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, रामघाट के पास शहर के नालों से गंदा पानी शिप्रा नदी के जल में मिलता है. कहा जाता है कि ये पिछले कुछ सालों से हो रहा है. यहां आने वाले लोगों के साथ-साथ स्थानीय लोगों ने कई बार निगम और प्रशासन से शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसी को ध्यान में रखते हुए उज्जैन लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी मंगलवार सुबह अचानक रामघाट पहुंचे.

ANI ने एक वीडियो भी शेयर किया है, जिसमें महेश परमार गंदे पानी के बीच बैठे और स्नान करते दिख रहे हैं. वीडियो में वे सूर्य देवता को जल अर्पण करते भी दिख रहे हैं. रामघाट पर स्नान के बाद उन्होंने भाजपा पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि भाजपा वोट तो मांग लेती है, लेकिन इसके बाद जनता की दिक्कतों का कोई समाधान नहीं होता है. 

बोले- डबल इंजन की सरकार, सनातनी सरकार, लेकिन..

महेश परमार ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि राज्य में डबल इंजन की सरकार है. राज्य और केंद्र की सरकार खुद को सनातनी और हिंदुओं का हितैषी बताती है लेकिन इन्हें वास्तव में न तो सनातन से कोई सरोकार है और न ही हिंदुओं की समस्याओं और दिक्कतों से. उन्होंने शपथ ली कि जब तक मेरे शरीर में प्राण है, जीवदायिनी शिप्रा नदी को प्रदर्शन से मुक्त करने की लड़ाई लड़ता रहूंगा.