Lok Sabha Elections 2024: नगर निगम चुनाव हो, विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा चुनाव, पंजाब और हरियाणा के डेरे वोटिंग में अच्छी-खासी दखल रखते हैं. माना जाता है कि डेरा ने जिस पार्टी या कैंडिडेट के समर्थन में वोटिंग की अपील कर दी, अनुयायी उस पार्टी या कैंडिडेट के समर्थन में जमकर वोटिंग करते हैं. शायद यही वजह है कि भाजपा हो, कांग्रेस हो या फिर आम आदमी पार्टी... इनकी नजर खासकर चुनावों के वक्त डेरा और उसके अनुयायियों पर होती है. 2024 में भी राजनीतिक पार्टियों की नजर पंजाब-हरियाणा के डेरों पर बनी हुई है, ताकि इसके अनुयायियों को वोट बैंक में तब्दील किया जा सके.
पंजाब और हरियाणा में डेरों की लंबी फेरहिस्त है. इनमें डेरा सच्चा सौदा (हरियाणा), राधा स्वामी सत्संग व्यास (अमृतसर), डेरा नूरमहल, डेरा निरंकारी (जालंधर), डेरा सचखंड बल्लां (जालंधर), डेरा नामधारी (लुधियाना) और डेरा निरंकारी शामिल हैं. डेरों का वोटिंग और चुनाव में कितना असर होता है, इसका अंदाजा इस बात से लगा लीजिए कि डेरा सच्चा सौदा के चीफ उम्रकैद की सजा काट रहे हैं और इस बीच उन्हें सजा होने के बाद से अब तक 9 बार पैरोल दी जा चुकी है.
पंजाब में सभी 13 लोकसभा सीटों पर 1 जून को वोटिंग होनी है. इससे पहले राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों के नेता लगातार डेरों का दौरा कर रहे हैं. डेरा चीफ से मुलाकात भी कर रहे हैं, ताकि उनके अनुयायियों के वोट को अपने पक्ष में किया जा सके. हालांकि, पंजाब में डेरों की संख्या इतनी है कि इनकी संख्या कितनी है, इसका कोई रिकार्ड नहीं है. जानकारों के मुताबिक, पंजाब में करीब 13 हजार गांव हैं और हर गांव में एक डेरा तो मिल ही जाएगा, चाहे वो छोटा डेरा हो या फिर बड़ा.
गौर करने वाली बात ये कि डेरा सिर्फ सिख धर्म के ही नहीं हैं, बल्कि इनमें सिखों के साथ-साथ हिंदुओं, सूफी और ईसाइयों के डेरे भी शामिल हैं. हर डेरों के अनुयायियों की संख्या हजारों तक हो सकती है. एक रिसर्च के मुताबिक, पंजाब के करीब 6 लोकसभा सीटों पर डेरों का प्रभाव है. सबसे ज्यादा चर्चित 'डेरा सचखंड बल्लां' है, जो जालंधर के पास है.
डेरा का मतलब एकजुट होकर एक स्थान पर रहना होता है. उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में भी इस शब्द का यूज किया जाता है, जहां डेरा का अर्थ वो जगह होता है, जहां सिर्फ पुरुष होते हैं. ये आमतौर पर घरों से दूर होता है. घरों में सिर्फ महिलाएं और लड़कियां होती हैं, लेकिन डेरों पर पुरुष होते हैं और रात को खाना खाने और सोने ही आते हैं. लेकिन पंजाब और हरियाणा में डेरा का अर्थ थोड़ा अलग है, लेकिन मिलता जुलता है. यहां भी डेरों का मतलब एक जगह और एकजुट होकर रहना है, जहां धर्म की शिक्षा दी जाती है, लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करना सिखाया जाता है, किसी तरह के नशे से दूर रहने की सलाह दी जाती है.
माना जाता है कि इन डेरों की शुरुआत 1920 के दशक में हुई. पंजाब की कुल आबादी का करीब 32 प्रतिशत दलित है. डेरों के अधिकतर अनुयायी पिछड़े वर्ग के यानी निचले तबके के आते हैं. लिहाजा, डेरों को बनाने के पीछे का मकसद सामाजिक भेदभाव को खत्म करना होता है. ये लोगों से किसी तरह का नशा न करने, समाज में सबके साथ अच्छा व्यवहार करने और भगवान की आराधना की सीख देते हैं.
डेरा सच्चा सौदा सिरसा (हरियाणा): पिछले कुछ सालों में ये डेरा गुरमीत राम रहीम के कारण काफी चर्चित रहा है. इसका मुख्यालय हरियाणा के सिरसा में है, जिसका प्रभाव पंजाब के मालवा क्षेत्र यानी संगरूर, मनसा, बठिंडा, फिरोजपुर और फजिल्का में है. सबसे पहले इस डेरा का नाम 2015 में उस वक्त सामने आया, जब साल 2015 में गुरुग्रंथ साहिब के अपमान का मामला सामने आया. शुरुआती जांच में सामने आया कि डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों ने ही गुरुग्रंथ साहिब का अपमान किया था. कथित अपमान के मामले में इस डेरे के अनुयायियों का नाम सामने आया था. डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को सजा सुनाए जाने से पहले उनके पास भाजपा, कांग्रेस के नेताओं समेत कई अन्य शख्सियतों को जाते देखा जा चुका है.
डेरा राधा स्वामी ब्यास: डेरा राधा स्वामी ब्यास का इतिहास 1891 से है और देश के हिंदी बेल्टों वाले कई राज्यों में भी इसके अनुयायी हैं. पीएम मोदी से लेकर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को डेरा में आते देखा जा चुका है. हालांकि, डेरा का दावा है कि उनका किसी राजनीतिक पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है.
डेरा सचखंड बल्लां: ये पंजाब के चर्चित डेरों में से एक है. माना जाता है कि इस डेरे का हेडक्वार्टर जालंधर के पास पठानकोट रोड पर है. इस डेरे का असर जालंधर और होशियारपुर लोकसभा सीट पर है. दोआब क्षेत्र के प्रमुख धार्मिक डेरों में से एक है. इसका मुख्य असर जालंधर और होशियारपुर लोकसभा सीटों पर है.
डेरा निरंकारी: करीब 1930 के दशक से इस डेरे का इतिहास मिलता है. इसके अनुयायी देश के कई राज्यों में हैं. माना जाता है कि इस डेरे के अनुयायी भी कई लोकसभा सीटों पर अच्छा प्रभाव रखते हैं.
नूर महल डेरा: इस डेरे को दिव्य ज्योति जागृति संस्थान भी कहा जाता है. इसका हेडक्वार्टर जालंधर शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर नूरमहल इलाके में है. कहा जात है कि मनोहर लाल खट्टर, जयराम ठाकुर और कैप्टर अमरिंदर सिंह का परिवार इस डेरे में आते-जाते हैं. इस डेरे का प्रभाव जालंधर और पटियाला में माना जाता है.
सतलोक आश्रम: इसके संचालक संत रामपाल के काफी अनुयायी हैं, जो अलग-अलग राज्यों में वोटिंग को प्रभावित करते हैं. 12 जुलाई 2016 को आश्रम में हिंसा के बाद संत रामपाल को गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन दिसंबर 2022 में रामपाल समेत अन्य को बरी कर दिया गया.