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Ballia Lok Sabha Seat: पूर्व PM चंद्रशेखर आठ बार यहां से रहे सांसद, अब बेटे नीरज शेखर मैदान में; जानिए यहां का समीकरण

Ballia Lok Sabha Seat : उत्तर प्रदेश की सात लोकसभा सीटों पर बीजेपी ने आज कैंडिडेट्स के नामों की घोषणा कर दी है. पूर्वांचल की चर्चित बलिया सीट पर बीजेपी ने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर को चुनावी मैदान में उतारा है.

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Pankaj Soni
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Ballia Lok Sabha Seat : भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए प्रत्‍याशियों की 10वीं लिस्‍ट जारी कर दी है. इसमें सात प्रत्‍याशियों के नाम शामिल हैं. इस सीट पर बीजेपी ने वर्तमान सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त का टिकट कटकर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर को मैदान में उतारा है. नीरज शेखर समाजवादी पार्टी की टिकट पर बलिया से दो बार सांसद रह चुके हैं.

इस लोकसभा सीट पर नीरज शेखर के पिता पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का दबदबा रहा है. पूर्व पीएम आठ बार इस सीट से सांसद रह चुके हैं. बलिया सीट बीजेपी को पहली बार साल 2014 में मिली थी. उसके बाद से लगातार यहां पर बीजेपी का दबदबा कायम है. 

बलिया लोकसभा सीट का परिचय

बलिया लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल इलाके में और बिहार की सीमावर्ती सीट है. बलिया में 5 विधानसभा सीट हैं. यह लोकसभा सीट गाजीपुर और बलिया जिले में है. इस लोकसभा सीट के तहत गाजीपुर की दो विधानसभाएं और बलिया की 3 विधानसभाएं आती हैं. गाजीपुर की मोहम्मादबाद और जहूराबाद के साथ बलिया की फेफना, बलिया नगर और बैरिया विधानसभाएं शामिल हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी सिर्फ एक सीट बलिया नगर में जीती थी. जबकि तीन सीटों बैरिया, फेफना और मोहम्मदाबाद पर समाजवादी पार्टी को जीत मिली थी. जहूराबाद सीट एसबीएसपी के खाते में गई थी.

बलिया सीट का जातिगत समीकरण

बलिया लोकसभा सीट पर 18 लाख के करीब मतदाता हैं. लोकसभा सीट की कुल आबादी करीब 25 लाख है. बलिया लोकसभा सीट ब्राह्मण, राजपूत, यादव और भूमिहार बहुल है. मतलब कि ये जातियां बलिया में निर्णायक भूमिका में हैं. इस सीट पर सबसे ज्यादा तीन लाख ब्राह्मण वोटर्स हैं. इस सीट पर राजपूत, दलित और यादव वोटर्स की संख्या ढाई-ढाई लाख से ज्यादा बताई जा रही है. इस क्षेत्र में मुस्लिम वोटरों की संख्या एक लाख के करीब है. गाजीपुर के जहूराबाद और मोहम्मदाबाद क्षेत्र में भूमिहार वोटर्स की संख्या ठीक-ठाक है. ये दोनों क्षेत्र बलिया लोकसभा सीट में आते हैं. 

बलिया लोकसभा सीट का इतिहास 

बलिया लोकसभा सीट पहले आम चुनाव 1952 से अस्तित्व में है. यहां पहली बार 1952 में चुनाव हुआ था. तब सोशलिस्ट पार्टी के राम नगीना सिंह को जीत मिली थी. 1957 के आम चुनाव में कांग्रेस के राधा मोहन सिंह और 1962 आम चुनाव में कांग्रेस के मुरली मनोहर सांसद बने. आगे साल 1967 और साल 1971 के आम चुनाव में कांग्रेस के चंद्रिका प्रसाद सांसद चुने गए. साल 1977 के आम चुनाव से लेकर 2004 तक आम चुनावों में चंद्रशेखर सांसद चुने गए.

इस बीच सिर्फ एक बार साल 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के जगन्नाथ चौधरी को जीत मिली थी. 2009 के आम चुनाव में नीरज शेखर सांसद बने. साल 2014 में बीजेपी को पहली बार बलिया लोकसभा सीट पर जीत मिली. बीजेपी के उम्मीदवार भरत सिंह सांसद चुने गए. जबकि साल 2019 आम चुनाव में वीरेंद्र सिंह मस्त ने जीत दर्ज की.

कौन हैं नीरज शेखर? 

नीरज शेखर देश के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के छोटे बेटे हैं. नीरज ने दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया है. इनकी पत्नी सुषमा शेखर डॉक्टर हैं. नीरज ने राजनीति की शुरुआत समाजवादी पार्टी से की थी. 2007 में पूर्व पीएम चंद्रशेखर के निधन के बाद बलिया सीट से उप चुनाव में जीतकर नीरज शेखर समाजवादी पार्टी से सांसद बने थे. 2009 में के लोकसभा चुनाव में नीरज शेखर दोबारा समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़े और चुनाव जीते. 2014 में नीरज शेखर समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़े लेकिन मोदी लहर में बीजेपी के भरत सिंह से हार गए.

इसके बाद समाजवादी पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया. 2019 में समाजवादी पार्टी ने नीरज शेखर को प्रत्याशी नहीं बनाया जिसके चलते वो बीजेपी में चले गए. इसके बाद बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा से सांसद बनाया. तब से लेकर अभी तक नीरज शेखर बीजेपी से राज्यसभा के सांसद हैं. अब बीजेपी ने बलिया सीट से उनको लोकसभा का प्रत्याशी घोषित किया है.  

वीरेंद्र सिंह मस्त का क्यों कटा टिकट? 

बलिया लोकसभा सीट के जातिगत समीकरण को देखें तो टिकट काटने के बावजूद बीजेपी ने बलिया में राजपूत वोटों का ख्याल रखा है. वीरेंद्र सिंह मस्त और नीरज शेखर दोनों ही राजपूत हैं. बलिया लोकसभा सीट पर राजपूतों के साथ भूमिहार और ब्राह्मण वोट निर्णायक भूमिका में हैं. पिछले कुछ दिनों से बीजेपी को पश्चिमी यूपी में राजपूतों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में कम से कम बलिया सीट पर बीजेपी ने राजपूत समीकरण को ध्यान में रखकर फैसला लिया है.