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NCERT New Syllabus: 'बाबर बना हत्यारा, औरंगजेब मंदिर तोड़ने वाला’, एनसीईआरटी ने बदली मुगलों की कहानी

इस तरह अब बच्चों को मुगलों की छवि एक ऐसे साम्राज्य के रूप में दिखाई जा रही है, जिसने ताकत और धर्म के नाम पर लोगों को दबाया, मारा और इमारतें गिराईं. ये पहले से पढ़ाई जा रही मुगलों की ‘सभ्य प्रशासक’ वाली छवि से बिल्कुल उलट है.

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Edited By: Reepu Kumari
NCERT New Syllabus
Courtesy: Pinterest

NCERT New Syllabus: कक्षा 8 की नई सोशल साइंस की किताब में मुगलों और दिल्ली सल्तनत का जिक्र कुछ अलग ही अंदाज में किया गया है. अब तक जिन्हें इतिहास में 'साम्राज्य निर्माता' बताया जाता रहा, उन्हें अब 'क्रूर, हिंसक और धार्मिक रूप से असहिष्णु' कहा जा रहा है. खास बात ये है कि किताब में बाबर, अकबर और औरंगजेब जैसे शासकों को बेहद तीखे शब्दों में वर्णित किया गया है.

इतना ही नहीं, NCERT ने पाठ के अंत में यह भी जोड़ दिया है कि “अतीत की घटनाओं के लिए आज किसी को दोष नहीं देना चाहिए”. यानी किताब में जो कुछ भी लिखा गया है, वह इतिहास है, लेकिन इसका इस्तेमाल आज की सोच और समाज को बांटने के लिए न किया जाए- इस संदेश के साथ.

बाबर से औरंगजेब तक–‘क्रूरता’ पर फोकस

इस किताब में बाबर को एक 'निर्दयी विजेता' कहा गया है जिसने शहरों की पूरी आबादी को खत्म कर डाला. वहीं अकबर को 'सहिष्णुता और क्रूरता' के मेल के रूप में दिखाया गया है. औरंगजेब का जिक्र मंदिरों और गुरुद्वारों को गिराने वाले शासक के रूप में किया गया है.

इस तरह अब बच्चों को मुगलों की छवि एक ऐसे साम्राज्य के रूप में दिखाई जा रही है, जिसने ताकत और धर्म के नाम पर लोगों को दबाया, मारा और इमारतें गिराईं. ये पहले से पढ़ाई जा रही मुगलों की ‘सभ्य प्रशासक’ वाली छवि से बिल्कुल उलट है.

नया सिलेबस, नई सोच – सिर्फ कक्षा 8 में होगा यह इतिहास

पहले मुगलों और दिल्ली सल्तनत से जुड़ा इतिहास कक्षा 7 में पढ़ाया जाता था, लेकिन अब इसे सिर्फ कक्षा 8 के लिए तय किया गया है. इस बदलाव को नई शिक्षा नीति 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 के तहत लागू किया गया है.

इस बदलाव का मकसद है कि छात्र गंभीर ऐतिहासिक घटनाओं को थोड़ी बड़ी उम्र में, समझदारी के साथ पढ़ें. ताकि वे केवल तारीखें ही नहीं, उस दौर की सामाजिक और राजनीतिक सच्चाइयों को भी समझ सकें.

किताब में चेतावनी – 'दोष मत दीजिए'

इतिहास की इन कड़वी बातों के साथ NCERT ने एक खास नोट जोड़ा है – 'किसी को भी अतीत की घटनाओं के लिए आज जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए.' यह एक तरह से सामाजिक सौहार्द बनाए रखने की कोशिश है.

यह अस्वीकरण दिखाता है कि सरकार और शिक्षा बोर्ड इस बात को लेकर सजग हैं कि इतिहास की इन बातों को वर्तमान राजनीति या समाज के खिलाफ न मोड़ा जाए. यानी किताब सच्चाई बताएगी, लेकिन नफरत फैलाने का ज़रिया नहीं बनेगी.