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India Daily

अंग्रेजी बोलने में आती है समस्या, चेन्नई के स्कूलों ने निकाला समस्या का क्रिएटिव समाधान

भारत में कम संसाधन वाले स्कूल बोली जाने वाली अंग्रेजी कक्षाओं के माध्यम से भाषा के अंतर को पाटने के लिए पारंपरिक तरीकों और डिजिटल उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
How Chennai schools are creatively addressing the problem of spoken English

भारत के कई संसाधन-सीमित स्कूलों में शिक्षक पारंपरिक और डिजिटल उपकरणों का उपयोग कर छात्रों को बोली जाने वाली अंग्रेजी सिखा रहे हैं, जिसका उद्देश्य भाषा के अंतर को पाटना है.

चेन्नई में अंग्रेजी सीखने का नया तरीका

चेन्नई के स्टेला मारिस नर्सरी और प्राइमरी स्कूल में कक्षा 5 के छात्र माइकल एंटनी ने बताया कि उन्होंने बहुत सारी शब्दावली सीखी है और रोजमर्रा के जीवन में अंग्रेजी बोलना शुरू किया है. माइकल पिछले दो वर्षों से बोली जाने वाली अंग्रेजी कक्षाओं में भाग ले रहे हैं. “मेरी कक्षाएं आकर्षक और संवादात्मक हैं. मुझे चर्चा करना पसंद है,” उन्होंने कहा. स्कूल में तीन साल से अंग्रेजी सिखाई जा रही है, जिसमें फोनेटिक्स के लिए सॉफ्टवेयर और तमिल शब्दों को अंग्रेजी में अनुवाद कर याद करने जैसे नवाचारी तरीके शामिल हैं. प्रिंसिपल प्रिया ने कहा, “वे कुछ बुनियादी वाक्यों में बात कर सकते हैं. हम साप्ताहिक समूह चर्चाएं आयोजित करते हैं और उन्हें विषयों पर बोलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.”

ग्रामीण क्षेत्रों में भी जोर

बेंगलुरु के एन.डी.के.पी.एस. मोरिगेरी सेकेंडरी स्कूल में ग्रामीण छात्रों को अंग्रेजी सिखाई जा रही है. अंग्रेजी शिक्षक एच.एम. कोट्रेशा ने बताया, “हम स्कूल सभा में उन्हें प्रशिक्षित करते हैं. अंग्रेजी में निर्देश देते हैं और ब्रिटिश उच्चारण सिखाते हैं. कक्षा 8 तक वाक्य रचना और कक्षा 9 से धाराप्रवाह बोलना सिखाया जाता है.”

रचनात्मक शिक्षण विधियां
चेन्नई के हार्टफुलनेस इंटरनेशनल स्कूल में अंग्रेजी विभाग की प्रमुख जी. राजेश्वरी ने कहा, “हम जस्ट ए मिनट, कविता पाठ, ब्लॉक एंड टैकल, शिपव्रेक, डायलॉग डैश और रोल प्ले जैसे प्रतियोगिताएं आयोजित करते हैं.” उन्होंने बताया, “हम भारतीय उच्चारण में पढ़ाते हैं. व्याकरण, उच्चारण और शब्दावली पर ध्यान देते हैं.” स्कूल में छात्रों को अखबार पढ़ने और किरदार निभाने जैसे रचनात्मक तरीकों से शब्दावली बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.

बेंगलुरु के विकास शिक्षाविद् वी.पी. निरंजनराध्या ने कहा, “बोली जाने वाली अंग्रेजी भाषा की समग्र प्रवीणता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है. यह भविष्य के नौकरी बाजार में छात्रों की मदद करता है. यह एक स्वागतयोग्य कदम है.”