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21 महीने में पहली बार थोक महंगाई दर माइनस में पहुंची! जानिए किन चीजों के दाम लुढ़के, कहां मिलेगी राहत

जून 2025 में भारत को महंगाई के मोर्चे पर बड़ी राहत मिली है. थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर (WPI) 21 महीने के निचले स्तर पर आ गई है और यह पहली बार निगेटिव यानि -0.13% पर दर्ज की गई है. खाद्य वस्तुओं, ईंधन और मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों की कीमतों में गिरावट इसका प्रमुख कारण रही है.

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Edited By: Kuldeep Sharma
Wholesale Inflation
Courtesy: web

महंगाई से जूझ रहे आम लोगों के लिए एक सुकून की खबर सामने आई है. जून 2025 में थोक महंगाई दर में अप्रत्याशित गिरावट दर्ज की गई है, जिससे देश में महंगाई के दबाव में थोड़ी राहत महसूस की जा रही है. वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले 21 महीनों में पहली बार थोक महंगाई निगेटिव में गई है. इस गिरावट का प्रमुख कारण खाद्य वस्तुओं और ऊर्जा उत्पादों की कीमतों में आई नरमी है.

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, जून 2025 में थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर -0.13 फीसदी रही है. यह अक्टूबर 2023 के बाद पहली बार है जब यह दर निगेटिव दर्ज की गई है. इससे पहले मई 2025 में यह दर 0.39 फीसदी, अप्रैल में 0.85 फीसदी, मार्च में 2.25 फीसदी, फरवरी में 2.38 फीसदी और जनवरी में 2.51 फीसदी रही थी. अर्थशास्त्रियों ने जून के लिए 0.52 फीसदी की महंगाई दर का अनुमान जताया था, लेकिन यह अनुमान से काफी कम रही. यह गिरावट बताती है कि थोक बाजार में कीमतें स्थिर हो रही हैं या घट रही हैं.

खाद्य वस्तुओं की कीमतों में आई नरमी

थोक महंगाई दर में गिरावट की सबसे बड़ी वजह खाद्य वस्तुओं की कीमतों में आई कमी है. जून में खाद्य महंगाई दर -0.26 फीसदी रही, जो दर्शाता है कि अनाज, दालें, मसाले, खाद्य तेल, फल और सब्जियां सस्ती हुई हैं. इसके अलावा, नॉन-फूड मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों और फ्यूल सेगमेंट में भी कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है. खाद्य पदार्थों की सस्ती होती कीमतों ने आम जनता को राहत दी है, जिससे घरेलू बजट पर भी सकारात्मक असर पड़ सकता है.

ईंधन और पावर सेगमेंट ने भी दिया सहारा

जून महीने में ईंधन और बिजली की कीमतों में भी कमी देखी गई, जिससे समग्र महंगाई पर असर पड़ा. तेल और गैस उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट के कारण घरेलू बाजार में भी इनकी दरें कम हुईं. साथ ही, औद्योगिक उत्पादन के कुछ मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्रों में लागत में गिरावट आई है, जिससे थोक स्तर पर कीमतें स्थिर हुई हैं. कुल मिलाकर, इन सभी घटकों ने मिलकर जून की थोक महंगाई दर को निगेटिव में पहुंचाया है.