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India Daily

SIMI पर जारी रहेगा बैन, सुप्रीम कोर्ट में प्रतिबंध पर विस्तार को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

ट्रिब्यूनल ने सिमी पर पांच साल के प्रतिबंध विस्तार की पुष्टि करते हुए कहा कि संगठन ने इस्लाम के लिए "जिहाद" के अपने उद्देश्य को नहीं छोड़ा है और भारत में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए काम करता रहा है.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Supreme Court dismisses petition challenging extension of ban on SIMI

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) पर लगाए गए पांच साल के प्रतिबंध विस्तार को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया. जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने 24 जुलाई 2024 को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया.

सिमी पर प्रतिबंध का इतिहास

केंद्र सरकार ने 29 जनवरी 2024 को सिमी पर प्रतिबंध को पांच साल के लिए बढ़ाने का फैसला किया था, जिसके बाद यूएपीए के तहत एक ट्रिब्यूनल का गठन किया गया. इस ट्रिब्यूनल का उद्देश्य यह जांचना था कि सिमी को गैरकानूनी संगठन घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण हैं या नहीं. सिमी को पहली बार 2001 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान गैरकानूनी घोषित किया गया था, और तब से इस प्रतिबंध को समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा है.

याचिका और कोर्ट की प्रतिक्रिया

सिमी की स्थापना 25 अप्रैल 1977 को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जमात-ए-इस्लामी-हिंद के युवा और छात्र संगठन के रूप में हुई थी. 1993 में इसने स्वतंत्र होने की घोषणा की थी. याचिकाकर्ता के वकील ने सोमवार को कोर्ट में कहा कि ट्रिब्यूनल ने 29 जनवरी 2024 के केंद्र के आदेश को बरकरार रखा, जिसके तहत सिमी पर नौवीं बार प्रतिबंध बढ़ाया गया. उन्होंने बताया कि सितंबर 2001 से यह प्रतिबंध जारी है और सुप्रीम कोर्ट में इस प्रतिबंध को चुनौती देने वाली अन्य याचिकाएं भी लंबित हैं.

वकील ने अनुरोध किया कि याचिका पर नोटिस जारी किया जाए और इसे लंबित मामलों के साथ जोड़ा जाए. जब उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता सिमी का पूर्व सदस्य है, तो पीठ ने पूछा, "फिर आप यहां क्यों हैं? संगठन को आने दें." वकील ने जवाब दिया कि संगठन अब अस्तित्व में नहीं है, जिस पर पीठ ने कहा, "तो फिर यह आपको कैसे प्रभावित करता है?" वकील ने कानूनी मुद्दों का हवाला दिया, लेकिन पीठ ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया.

प्रतिबंध का कारण

ट्रिब्यूनल ने सिमी पर पांच साल के प्रतिबंध विस्तार की पुष्टि करते हुए कहा कि संगठन ने इस्लाम के लिए "जिहाद" के अपने उद्देश्य को नहीं छोड़ा है और भारत में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए काम करता रहा है. सरकार ने प्रतिबंध बढ़ाते हुए कहा कि सिमी आतंकवाद को बढ़ावा देने और देश में शांति व सांप्रदायिक सौहार्द को भंग करने में शामिल है.