menu-icon
India Daily

भारत ने अमेरिका को फेंकी गुगली, स्टील, ऑटो और फार्मा आयात पर दिया जीरो टैरिफ का प्रस्ताव, अब ट्रंप के पाले मे गेंद?

एक रिपोर्ट के अनुसार, 2014 से पहले भारत में केवल 14 क्यूसीओ थे, लेकिन 2017 के बाद इनकी संख्या बढ़कर 140 से ज्यादा हो गई है.

auth-image
Edited By: Gyanendra Tiwari
India proposes zero tariffs to America on steel auto and pharma imports
Courtesy: Social Media

India and US Tariff: भारत ने अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में एक बड़ा दांव खेला है. उसने स्टील, ऑटो पार्ट्स और दवाओं के आयात पर शून्य टैरिफ का प्रस्ताव रखा है, बशर्ते यह सुविधा एक निश्चित मात्रा तक और दोनों देशों के बीच पारस्परिक आधार पर हो. यह कदम दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है.

शून्य टैरिफ का अनोखा ऑफर

जानकारी के मुताबिक, भारतीय व्यापार अधिकारियों ने पिछले महीने वाशिंगटन में हुई बातचीत के दौरान यह प्रस्ताव रखा. इस ऑफर के तहत, एक तय सीमा तक इन सामानों पर कोई आयात शुल्क नहीं लगेगा. लेकिन अगर आयात इस सीमा से ज्यादा होता है, तो सामान्य दरों पर शुल्क लागू होगा. यह प्रस्ताव इस साल के अंत तक एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते को तेजी से पूरा करने की रणनीति का हिस्सा है.

अमेरिका की चिंताओं पर भारत की नजर

अमेरिका ने भारत के क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर्स (क्यूसीओ) को गैर-टैरिफ व्यापार बाधा बताया है. ये नियम भारत में बिकने वाले स्थानीय और विदेशी सामानों के लिए अनिवार्य गुणवत्ता मानक तय करते हैं. अमेरिका का कहना है कि ये नियम पारदर्शी नहीं हैं और उसके निर्यात को प्रभावित करते हैं. जवाब में, भारत ने मेडिकल उपकरणों और रसायन जैसे क्षेत्रों में अपने क्यूसीओ की समीक्षा करने की इच्छा जताई है. साथ ही, भारत ने एक पारस्परिक मान्यता समझौते का प्रस्ताव भी दिया है, जिसके तहत दोनों देश एक-दूसरे के नियामक मानकों को स्वीकार करेंगे.

दोनों देशों की प्राथमिकताएं

दोनों देश कुछ खास क्षेत्रों को प्राथमिकता देकर जल्द से जल्द एक व्यापार समझौता करना चाहते हैं. यह कोशिश अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ जवाबी कार्रवाई की 90 दिन की अवधि खत्म होने से पहले पूरी हो सकती है. ट्रम्प ने हाल ही में संकेत दिया कि कुछ व्यापार समझौते इस सप्ताह तक हो सकते हैं, जिससे भारत जैसे देशों को राहत मिलने की उम्मीद है. भारत, दक्षिण कोरिया और जापान जैसे एशियाई देश इस दौड़ में सबसे आगे हैं.

ये नियम भारत में उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए लागू किए गए हैं, लेकिन इनके कारण विदेशी कंपनियों को भारतीय बाजार में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.