RBI adds 25 tonnes of gold: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्तीय वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में अपने सोने के भंडार में लगभग 25 टन सोना जोड़ा. यह वह समय था जब वैश्विक बाजार में सोने की कीमतों में तेजी देखी गई. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 31 मार्च, 2025 तक RBI के पास कुल 879.59 टन सोना है, जो सितंबर 2024 के अंत में 854.73 टन से अधिक है.
पूरे वित्तीय वर्ष 2025 RBI के लिए खास रहा, क्योंकि इस दौरान बैंक ने 57 टन से ज्यादा सोना अपने भंडार में जोड़ा. यह पिछले सात सालों में सबसे बड़ी वार्षिक वृद्धि है. इस अवधि में सोने की कीमतों में करीब 30 प्रतिशत की उछाल आई, जिसने RBI के इस कदम को और महत्वपूर्ण बना दिया. RBI की यह रणनीति वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और भू-राजनीतिक तनावों के बीच सोने को सुरक्षित निवेश के रूप में देखने की दिशा में इशारा करती है.
देश में सोने का भंडारण बढ़ा
RBI ने न केवल सोना खरीदा, बल्कि इसे देश में लाने पर भी जोर दिया. मार्च 2025 तक, भारत में संग्रहीत सोने की मात्रा बढ़कर 511.99 टन हो गई. यह सितंबर 2024 के 510.46 टन से थोड़ा अधिक है. इसके अलावा, 348.62 टन सोना अभी भी बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) के पास सुरक्षित है, जबकि 18.98 टन सोना जमा के रूप में रखा गया है.
1991 के बाद सबसे बड़ा कदम
RBI ने FY25 की शुरुआत में विदेशों से बड़ी मात्रा में सोना भारत लाया. सितंबर 2024 तक, देश में संग्रहीत सोने की मात्रा 408 टन से बढ़कर 510.46 टन हो गई. यह 1991 के बाद सबसे बड़ा घरेलू सोने का स्थानांतरण माना जा रहा है, जब भारत को विदेशी मुद्रा संकट से निपटने के लिए अपने सोने के भंडार को गिरवी रखना पड़ा था. यह कदम वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत की आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है.
विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का हिस्सा बढ़ा
सोने की बढ़ती खरीद के कारण भारत के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी भी बढ़ी है. मार्च 2025 तक यह हिस्सेदारी 11.70 प्रतिशत हो गई, जो सितंबर 2024 में 9.32 प्रतिशत थी. हालांकि, इस दौरान भारत का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 705.78 बिलियन डॉलर से घटकर 668.33 बिलियन डॉलर रह गया. यह भंडार अब 10.5 महीने के आयात को कवर कर सकता है, जो पहले 11.8 महीने था.
ट्रंप की फिल्मों पर टैरिफ की घोषणा के बाद भागा सोना
सोने की कीमतें सोमवार को 2% से ज्यादा बढ़ गईं क्योंकि अमेरिकी डॉलर कमजोर हुआ और राष्ट्रपति ट्रंप के नए टैरिफ की घोषणा से निवेशक सुरक्षित निवेश की तलाश में थे. इन टैरिफ में विदेशी फिल्मों पर 100% कर शामिल है, जिससे वैश्विक व्यापार युद्ध की चिंता बढ़ी.