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Kaal Bhairav Jayanti 2023: जानें कब है काल भैरव जयंती और क्या है इसका महत्व?

Kaal Bhairav Jayanti 2023: हिंदू  पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है. इसे काल भैरव जयंती के नाम से भी जानते हैं. इस दिन काल भैरव का पूजन करने से जीवन के कष्ट, दुख दूर होते हैं. 

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Edited By: Mohit Tiwari
kal bahirav

हाइलाइट्स

  • जीवन से दुखों को दूर करता है काल भैरव का पूजन
  • भगवान शिव के रौद्र रूप हैं काल भैरव

Kaal Bhairav Jayanti 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह (अगहन) के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है. इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप का काल भैरव का पूजन किया जाता है. इस दिन को काल भैरव जयंती के नाम से भी जाना जाता है.

इसके साथ ही इसको लोग कालाष्टमी भी कहते हैं. मान्यता है कि इस दिन भगवान काल भैरव के पूजन से जीवन के सभी कष्ट, दुख दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि की भी प्राप्ति होती है. हिंदू धर्म में कालाष्टमी को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. हालांकि कालाष्टमी का व्रत हर माह को किया जाता है. 

कब है कालाष्टमी और क्या है इसका शुभ मुहूर्त?

साल 2023 में मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 04 दिसंबर की रात 09 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी. यह तिथि 06 दिसंबर को सुबह 12 बजकर 37 मिनट तक रहेगी. काल भैरव का पूजन रात के समय ही करना शुभ होता है. इस कारण भगवान काल भैरव की पूजा रात्रि में ही करनी चाहिए. 

क्या है कालाष्टमी का महत्व?

कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के रौद्र रूप की पूजा करने का विशेष विधान है. इस दिन काल भैरव की विधिवत पूजा करनी चाहिए. मान्यता है कि इससे व्यक्ति को सभी पाप और दुखों से मुक्ति मिल जाती है. इसके साथ ही भगवान शिव की कृपा बनी रहती है. जिस जातक की कुंडली में राहु दोष होता है. इस दिन पूजा करने से इस दोष से भी छुटकारा मिल जाता है. इसके साथ ही व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है. 

नकारात्मक शक्तियां होती हैं दूर

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि काल भैरव का पूजन करने से नाकारात्मक शक्तियों और भूत-प्रेत जैसी समस्याओं से भी छुटकारा मिल जाता है. काल भैरव को काशी का कोतवाल भी कहा जाता है. इस कारण इनकी पूजा के बिना भगवान विश्वनाथ की पूजा अधूरी मानी जाती है. 

कालाष्टमी के दिन करें इन मंत्रों का जाप

1- कालाष्टमी के दिन रात्रि में इन मंत्रों (ओम कालभैरवाय नमः, ओम भयहरणं च भैरवः) का जाप 108 बार करना चाहिए. 

2- इसके साथ ही आप इन मंत्रों (ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं., ओम भ्रां कालभैरवाय फट्.) का 21 बार संध्या के समय जाप कर सकते हैं. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि मंत्रों का जाप करते समय आपके आसपास कोई न हो. 

Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.  theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.