क्रीम बिस्किट बचपन की सबसे मीठी यादों में से एक हैं. स्कूल के टिफिन से लेकर शाम की चाय तक, दो बिस्किटों के बीच भरी हुई वो स्वादिष्ट सी क्रीम कई घरों की रोज़मर्रा की खुशी थी. लेकिन अब जब सच सामने आया है, तो वो क्रीम, जिससे हम इतनी मासूमियत से जुड़े थे, उतनी मासूम नहीं निकली. सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो ने इन बिस्किटों की सच्चाई उजागर कर दी है.
वायरल वीडियो के अनुसार, इन बिस्किटों में भरी जाने वाली 'क्रीम' दरअसल क्रीम है ही नहीं. यह एक खास तरह के हाइड्रोजेनेटेड वेजिटेबल फैट यानी 'डालडा', चीनी, प्रिज़र्वेटिव्स और आर्टिफिशियल फ्लेवरिंग्स का मिश्रण होता है. इसे एक मोटे, मलाई जैसे दिखने वाले पेस्ट के रूप में तैयार किया जाता है. यह मिश्रण न तो दूध से बना होता है और न ही इसका कोई पोषण संबंधी मूल्य होता है. वीडियो में कहा गया है, "याद रखना, अगली बार जब इसे खाओ."
कई बार कम कीमत वाले खाद्य पदार्थों में मिलावट की आशंका होती है, और क्रीम बिस्किट भी अब इस लिस्ट में शामिल हो गए हैं. इनके निर्माण में सस्ते तेलों और फैट्स का इस्तेमाल किया जाता है ताकि स्वाद तो बना रहे, लेकिन लागत कम आए. मगर इसका खामियाजा उपभोक्ता की सेहत को भुगतना पड़ता है. इन फैट्स का ज़्यादा सेवन मोटापा, दिल की बीमारियों और कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याओं को जन्म दे सकता है.
The cream biscuit you love to eat, has Zero cream
— Woke Eminent (@WokePandemic) July 28, 2025
its just a cocktail of Dalda + Flavour + preservaties
remember it when you eat it next time#health pic.twitter.com/cQXAVt6IXq
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कुछ प्रमुख ब्रांड्स जैसे कि ब्रिटानिया मिल्क बिकिस, पार्ले बॉर्बन और ओरियो की सामग्रियों की सूची देखी गई. इनमें कहीं भी असली डेयरी क्रीम नहीं पाई गई. उदाहरण के लिए, मिल्क बिकिस क्रीम में मैदा, शक्कर, पाम ऑयल और मिल्क सॉलिड्स पाए गए, लेकिन 'क्रीम' जैसी कोई असली चीज़ नहीं थी. इसी तरह बॉर्बन में भी पाम ऑयल, आर्टिफिशियल कलर और फ्लेवरिंग का उपयोग किया गया है. ओरियो में भी लगभग यही सामग्री शामिल है.
बचपन की यादों में बसी इन क्रीम बिस्किटों का स्वाद आज भी लुभाता है, लेकिन अब जब इनकी असलियत सामने आ गई है, तो जरूरी है कि हम सचेत हों. इन सभी बिस्किटों को खाने से पूरी तरह परहेज़ भले न हो लेकिन इन्हें हर दिन खाने से शरीर में फैट जमा हो सकता है, जो आगे चलकर गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है. खासतौर पर बच्चों को यह सोचकर खिलाना कि वे दूध से बनी चीज़ खा रहे हैं, एक भ्रम है, जिसे तोड़ना ज़रूरी है.