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कर्नाटक में शुरू हुआ सत्ता का नया खेल, सिद्धारमैया के करीबी की शिवकुमार से मुलाकात ने बढ़ाई हलचल

कर्नाटक में कांग्रेस की नेतृत्व राजनीति एक बार फिर चर्चा में है. डिप्टी CM डीके शिवकुमार और CM सिद्धारमैया के करीबी मंत्री सतीश जारकीहोली की मुलाकात ने नए राजनीतिक संकेत दिए हैं. यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब राज्य में पावर शेयरिंग फॉर्मूले की चर्चाएं फिर तेज हो गई हैं.

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Edited By: Babli Rautela
DK Shivakumar and Satish Jarkiholi -India Daily
Courtesy: X

कर्नाटक कांग्रेस में नेतृत्व से जुड़ी चर्चा एक बार फिर तेज हो गई है. इसकी वजह है एक साधारण सी लगने वाली मुलाकात जिसने राजनीति की नई लहर चला दी है. डिप्टी मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के करीबी माने जाने वाले मंत्री सतीश जारकीहोली हाल ही में एक शादी के कार्यक्रम में मिले. लेकिन यह मुलाकात जितनी सामान्य दिखती है, उससे कहीं ज्यादा राजनीतिक संकेत दे रही है.

जारकीहोली और शिवकुमार के बीच लंबे समय से मतभेद रहे हैं. दोनों प्रदेश कांग्रेस के दो अलग धड़ों का प्रतिनिधित्व करते हैं. ऐसे में दो हफ्तों में दूसरी मुलाकात ने यह सवाल उठाना शुरू कर दिया है कि क्या कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन से जुड़ी कोई नई रणनीति बन रही है.

मुलाकात से बढ़ी राजनीतिक हलचल

गुरुवार रात दोनों नेता एक पारिवारिक समारोह में मिले. इससे पहले 25 नवंबर को भी दोनों के बीच बातचीत हुई थी. इस तरह लगातार दो मुलाकातों ने जमीनी राजनीति में यह अटकलें बढ़ा दी हैं कि शिवकुमार अपनी मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा को आगे बढ़ाने में लगे हैं.

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि शिवकुमार जारकीहोली का समर्थन हासिल करना चाहते हैं. यहां तक कहा जा रहा है कि वह उन्हें राज्य कांग्रेस अध्यक्ष का पद ऑफर कर सकते हैं. जारकीहोली परंपरागत रूप से सिद्धारमैया के करीबी माने जाते हैं, इसलिए उनकी भूमिका बेहद अहम मानी जा रही है.

दोनों नेताओं ने कहा सिर्फ एक सामान्य मुलाकात

सवालों की बाढ़ को देखते हुए शिवकुमार ने मीडिया से कहा कि यह सिर्फ एक रूटीन मुलाकात थी. उन्होंने कहा कि वे अक्सर कैबिनेट मीटिंग, डिनर और सुबह के नाश्ते में भी साथ बैठते हैं. उन्होंने साफ किया कि बातचीत में राज्य के मुद्दों पर चर्चा हुई जैसे इन्वेस्टमेंट और पड़ोसी राज्यों से प्रतिस्पर्धा की स्थिति. उन्होंने कहा कि राजनीति में दोस्ती और बातचीत होती रहती है और इससे ज्यादा कुछ नहीं देखा जाना चाहिए.

जारकीहोली ने भी मुलाकात को हल्का रखते हुए कहा कि उन्होंने साथ में भोजन किया और थोड़ी देर बातचीत की. मजाक में उन्होंने कहा कि जिन पंद्रह मिनट की बात हो रही है वह शायद इससे भी ज्यादा लंबी रही होगी. उन्होंने साफ किया कि शिवकुमार ने उनसे किसी तरह का समर्थन नहीं मांगा और न ही राज्य अध्यक्ष पद को लेकर कोई चर्चा हुई. उन्होंने कहा कि पार्टी ही ऐसे निर्णय लेती है.

फिर चर्चा में आय पावर शेयरिंग फॉर्मूला 

कर्नाटक कांग्रेस सरकार ने 20 नवंबर को अपने पांच साल के कार्यकाल का आधा समय पूरा किया है. यह वही समय है जब 2023 में बने पावर शेयरिंग फॉर्मूले की चर्चा फिर सामने आती है. सूत्रों के अनुसार उस समय कहा गया था कि डेढ़ से दो साल बाद मुख्यमंत्री पद बदल सकता है.

हालांकि कांग्रेस हाईकमान ने कभी इसे सार्वजनिक तौर पर स्वीकार नहीं किया, लेकिन यह चर्चा लगातार बनी हुई है. इसी बीच दोनों नेताओं को एक संयुक्त मीटिंग का निर्देश दिया गया ताकि बेलगावी विधानसभा सत्र से पहले एकता का संदेश दिया जा सके.