Mughal History : मुगल शासक अत्याचारी होने के साथ ही बडे़ नशेबाज भी थे. उनके नशे के किस्से कई जगहों पर बताए गए हैं. खुद जहांगीर ने अपनी आत्मकथा में लिखा था कि वह अकेला ऐसा बादशाह नहीं था, जो नशा करता था. उसके पहले भी बाबर से लेकर शाहजहां जैसे शासक नशे में चूर रहते थे.
मुगल शासकों के नशेबाजी के किस्सों से इतिहास की किताबें भरी पड़ी हैं. इतिहासकार तो यहां तक दावा करते हैं कि हुमांयू और जहांगीर नशे के कारण ही दुनिया को अलविदा कह गए थे. हालांकि औरंगजेब को इतिहासकारों ने एक ऐसा शासक बताया है जो कि कोई नशा नहीं करता था. आइए जानते हैं कि वे कौन से मुगल बादशाह थे, जो नशे में डूबे रहते थे.
मुगल सल्तनत की भारत में नींव रखने वाला बाबर भी नशेड़ी थी. वह शराब और अफीम का नशा करता था. इनको वो अपने साथ काबुल से लाया था. मुगलकालीन समय में शराब को अर्क और अफीम को माजूम के नाम से जाना जाता था.
बाबरनामा में लिखा है कि बाबर ने नशा करने के भी दिन तय कर रखे थे. शराब के लिए उसने शनिवार, रविवार, मंगलवार और बुधवार तय कर रखा था. वहीं, सोमवार, गुरुवार और शुक्रवार को अफीम का नशा करता था.
बाबर को शराब पीना छोड़ना पड़ गया था. इसकी वजह राणा सांगा थे. बाबर को सलाह दी गई थी कि अगर उसे राणा सांगा से युद्ध जीतना है तो उसे अपनी कोई प्रिय चीज का त्याग करना पड़ेगा. ऐसे में बाबर को अपनी प्रिय शराब को छोड़ना पड़ गया था.
अकबर और उसके पिता हुमांयू, दोनों ही नशा करते थे. हुमांयू अफीम का शौकीन था. वहीं, अकबर को तंबाकू की तलब थी. प्राइवेट लाइफ ऑफ द मुगल्स ऑफ इंडिया में इतिहासकार आर नाथ लिखते हैं कि अकबर को उसके दरबारी असद बेग ने तंबाकू खिलाई थी. अकबर के दरबार से ही उत्तर भारत में हुक्का शुरू हुआ.
जहांगीर हर वक्त नशे में धुत रहता था.बुक-ए-जहांगीरी में इस बात का जिक्र है कि वह एक दिन में शराब के 20 प्याले पीता था. इनमें से 14 दिन में और 6 रात में पीता था. शराब के लिए बर्फ को कश्मीर से मंगाया जाता था. जब उसने शराब पीना कम किया तो उसे अफीम का नशा पसंद आ गया. उसकी मौत अस्थमा से हुई थी. जहांगीर को तंबाकू का शौक नहीं था.
तुबुक-ए-जहांगीरी में इस बात का जिक्र आता है कि जहांगीर ने इस बात पर हैरानी जताई थी कि शाहजहां ने 24 साल के होने बाद भी शराब क्यों नहीं पी. हालांकि प्राइवेट लाइफ ऑफ द मुगल्स ऑफ इंडिया के अनुसार शाहजहां अफीम का लती था.
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