Fixed Deposit: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 8 दिसंबर को आयोजित अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में लगातार 5वीं बार रेपो रेट को अपरिवर्तित रखा है. RBI ने रेपो रेट में आखिरी बढ़ोत्तरी फरवरी में की थी जिसे 6.625% से बढ़ाकर 6.5% कर दिया गया था. उस दौरान बैंकों ने FD के रेट्स बढ़ा दिए थे, लेकिन एफडी की दरों में यह वृद्धि 2.5% के करीब नहीं हुई. हालांकि आरबीआई ने ब्याज दरों में कम बढ़ोत्तरी पर चिंता जताई थी.
लिक्विडिटी की कमी से जूझ रहे बैंक
बता दें कि जब बैंकों को शार्ट-टर्म क्रेडिट की जरूरत अधिक होती है तो बैंक ब्याज दर या डिपॉजिट रेट बढ़ाने पर मजबूर हो जाते हैं. लिक्विडिटी के संकट के कारण पैसा बाजार में मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट 6.75% के आसपास घूम रहा है. बता दें कि मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी बैंकों को रेपो रेट से अधिक ब्याज पर पैसा उधार लेने की अनुमति देता है.
छोटी अवधि के लिए कई बैंकों ने बढ़ाईं ब्याज दरें
कई बैंकों ने अपनी अधिकतम ब्याज दर को बढ़ाना बंद कर दिया है जबकि कुछ अभी भी शॉर्ट-टर्म एफडी पर अपनी ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं. पंजाब नेशनल बैंक ने 180 दिन से 270 दिन की अवधि पर FD पर 5.5% से बढ़ाकर 6%, 271 दिन से एक साल से कम अवधि पर 5.8% से बढ़ाकर 6.25% कर दिया है.
इंडियन ओवरसीज बैंक ने 1 साल से 2 साल से कम अवधि के लिए एफडी पर ब्याज 6.50 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.80 प्रतिशत कर दिया है. बैंक ऑफ इंडिया ने 46 से 90 दिनों की अवधि पर 2 करोड़ या इससे अधिक की एफडी पर ब्याज बढ़ाकर 5.25% कर दिया है.
लंबी अवधि में गिर सकती हैं ब्याज दरें
ऐसे में अगर आप लंबे समय के लिए FD करा रहे हैं तो इससे आपको नुकसान हो सकता है क्योंकि मैक्रो इंडिकेटर लंबी अवधि में ब्याज दरों में कटौती के लिए मजबूत बेस बनता दिखा रहे हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव का सबसे बड़ा ग्लोबल इंडीकेटर 10-वर्षीय अमेरिकी बांड यील्ड है जो अक्टूबर में 4.9% को पार कर गई लेकिन उसके बाद यह गिरकर 4.22% पर आ गई.
वहीं भारतीय सरकारी बांड यील्ड की बात करें तो यह मार्च में 7.45% के अपने उच्चतम स्तर से काफी नीचे आ गए हैं. हालांकि अभी इसका स्तर 7.26% है. एक्सपर्ट कहते हैं कि हमें दिखाई दे रहा है कि आरबीआई लगभग-लगभग वैश्विक केंद्रीय बैंकों के नक्शेकदम पर चल रहा है. यदि फेड द्वारा शीघ्र ब्याज दरों में कटौती की संभावना बनती है तो हमें लगता है कि आरबीआई भी ऐसा ही करेगा.