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अरहर दाल के दाम को काबू में लाने के लिए सरकार उठाने जा रही है ये कदम

उपभोक्ता मामलों के विभाग ने राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ को उपभोक्ताओं के लिए अरहर दाल की उपलब्धता बढ़ाने के लिए मिल मालिकों के बीच ऑनलाइन नीलामी के माध्यम से अरहर दाल का निपटान करने का निर्देश दिया गया है.

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Abhiranjan Kumar
अरहर दाल के दाम को काबू में लाने के लिए सरकार उठाने जा रही है ये कदम

सरकार घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रित रखने के प्रयासों के तहत अपने बफर स्टॉक से पात्र मिल मालिकों को अरहर दाल बेचेगी. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘‘सरकार ने भारतीय बाजार में आयातित भंडार आने तक अरहर को राष्ट्रीय बफर से सुनियोजित और लक्षित तरीके से जारी करने का फैसला किया है.'' बयान के अनुसार उपभोक्ता मामलों के विभाग ने राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) को उपभोक्ताओं के लिए अरहर दाल की उपलब्धता बढ़ाने के मकसद से पात्र मिल मालिकों के बीच ऑनलाइन नीलामी के माध्यम से अरहर दाल का निपटान करने का निर्देश दिया है.

उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर अरहर की उपलब्धता पर स्टॉक जारी करने के बाद के मूल्यांकन किए गए प्रभाव के आधार पर नीलामी की जाने वाली मात्रा और संख्या को तय किया जाएगा. सरकार ने 2 जून को जमाखोरी और बेईमान सट्टेबाजी को रोकने और उपभोक्ताओं को सस्ते में सुलभ कराने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 को लागू करके अरहर और उड़द पर भंडार सीमा लगा दी थी. इस आदेश के तहत सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए 31 अक्टूबर 2023 तक तुअर और उड़द के लिए भंडार सीमा निर्धारित की गई है.

प्रत्येक दाल पर व्यक्तिगत रूप से लागू स्टॉक सीमा थोक विक्रेताओं के लिए 200 टन है, खुदरा विक्रेताओं के लिए 5 टन, प्रत्येक खुदरा दुकान पर 5 टन और बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं के लिए डिपो पर 200 टन, मिल मालिकों के लिए उत्पादन के अंतिम 3 महीने या वार्षिक स्थापित क्षमता का 25 प्रतिशत, जो भी अधिक हो, है.

आदेश में इन संस्थाओं के लिए विभाग के पोर्टल पर भंडार की स्थिति घोषित करना भी अनिवार्य कर दिया गया है.

भंडार सीमा आदेश के कार्यान्वयन और पोर्टल पर स्टॉक प्रकटीकरण की स्थिति की उपभोक्ता मामलों के विभाग और राज्य सरकारों द्वारा लगातार निगरानी की जाती है.

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बयान में कहा गया है कि राज्य सरकारें अपने-अपने राज्यों में कीमतों पर लगातार नजर रख रही हैं और भंडार सीमा आदेश का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने के लिए भंडार रखने वाली संस्थाओं के भंडार की स्थिति का सत्यापन कर रही हैं.