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क्या लाइफ इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस को लिंक किया जा सकता है? यहां जानें पूरी प्रक्रिया

लाइफ इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस दोनों का मकसद और फायदा अलग-अलग होता है. हां लाइफ इंश्योरेंस में हेल्थ रिलेटेड राइडर्स जोड़कर कवरेज बढ़ाया जा सकता है.

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Edited By: Gyanendra Sharma
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Courtesy: Photo-Social Media

नई दिल्ली: कई लोग ऐसी पॉलिसी की तलाश में रहते हैं, जिसमें एक ही प्रीमियम से उनकी जिंदगी भी कवर हो जाए और स्वास्थ्य से सम्बंधित ख़र्चे भी आसानी से संभल जाए, यानी एक प्लान दो तरह की सुरक्षा. खासकर नौकरीपेशा लोग और छोटे बच्चों वाले युवा माता-पिता ऐसी पॉलिसी की तलाश में रहते हैं, जिसमें मृत्यु की स्थिति में परिवार को आर्थिक सहारा भी मिले और अस्पताल में भर्ती होने पर आने वाला खर्च भी कुछ हद तक कवर हो सके.

लेकिन सच यह है कि लाइफ इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस दोनों का मकसद और फायदा अलग-अलग होता है.  हाँ, लाइफ इंश्योरेंस में हेल्थ रिलेटेड राइडर्स जोड़कर कवरेज बढ़ाया जा सकता है, लेकिन सिर्फ उसी पर भरोसा करके अलग हेल्थ प्लान छोड़ देना सही नहीं माना जाता.

लाइफ इंश्योरेंस हेल्थ राइडर : ये क्या हैं और कैसे काम करते हैं?

सबसे पहले समझते हैं कि राइडर होते क्या हैं. जब आप लाइफ इंश्योरेंस लेते हैं, तो इंश्योरेंस कंपनी आपको कुछ अतिरिक्त सुविधाएं जोड़ने का विकल्प देती है, जिन्हें राइडर कहा जाता है. ये छोटे-छोटे अतिरिक्त सुरक्षा कवर होते हैं जो आपकी मूल पॉलिसी के ऊपर जोड़ दिए जाते हैं. इसका फायदा यह होता है कि आपको अलग से नई पॉलिसी लेने की जरूरत नहीं पड़ती और एक ही योजना के अंदर सुरक्षा का दायरा बढ़ जाता है.

कुछ नॉर्मल हेल्थ से जुड़े राइडर, जिन्हें आप लाइफ इंश्योरेंस के साथ जोड़ सकते हैं:

1.गंभीर बीमारी राइडर- कैंसर, हार्ट अटैक या किडनी फेल जैसी गंभीर बीमारी पहली बार होने पर एकमुश्त राशि मिलती है, जिसका उपयोग इलाज या घर के खर्चों में किया जा सकता है.

2.दुर्घटना मृत्यु/विकलांगता राइडर - दुर्घटना में मृत्यु होने पर अतिरिक्त राशि मिलती है. विकलांगता पर कई योजनाएं एकमुश्त या नियमित आय देती हैं.

3.अस्पताल भर्ती/सर्जरी राइडर - अस्पताल में भर्ती होने या सर्जरी पर तय राशि मिलती है, जो बिल से सीधे जुड़ी नहीं होती बल्कि पॉलिसी में तय की गई राशि के अनुसार मिलती है.

लाइफ इंश्योरेंस राइडर के बावजूद अलग हेल्थ इंश्योरेंस क्यों जरूरी है?

अब सबसे सीधा सवाल यही है कि जब लाइफ इंश्योरेंस की पॉलिसी में हेल्थ से जुड़े राइडर मिल जाते हैं, तो फिर अलग से हेल्थ इंश्योरेंस क्यों लिया जाए?  क्योंकि एक अलग हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का काम ही अलग होता है, यह सीधे अस्पताल के बिलों के लिए बनी है और पूरे परिवार को एक मजबूत सुरक्षा घेरा देती है. 

अब कुछ मुख्य कारण समझते हैं
●    इलाज का खर्च तेजी से बढ़ रहा है, एक छोटे राइडर की तय सीमा आगे चलकर कम पड़ सकती है, जबकि अलग हेल्थ इंश्योरेंस में आप ज्यादा सम एश्योर्ड ले सकते हैं.

●    जिंदगी में बीमारी या दुर्घटना एक बार नहीं, कई बार हो सकती है; हेल्थ इंश्योरेंस में हर साल नवीनीकरण के साथ बार-बार दावा करना संभव है.

●    फैमिली फ़्लोटर योजना से एक ही पॉलिसी पूरे परिवार को कवर कर सकती है, जबकि राइडर ज्यादातर सिर्फ पॉलिसी धारक तक सीमित रहते हैं.

●    कई हेल्थ पॉलिसी में ओपीडी, नियमित जांच, डे-केयर, मातृत्व और नवजात शिशु जैसी सुविधाएं भी देती हैं, जो आमतौर पर राइडर में शामिल नहीं होतीं.


इसीलिए लाइफ इंश्योरेंस के साथ राइडर जरूर रखें, लेकिन अलग से मजबूत हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लेना ही सबसे सुरक्षित और समझदारी भरा कदम है.

लाइफ इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस ऑनलाइन कैसे खरीदें?

ज्यादातर कंपनियां लाइफ़ और हेल्थ इंश्योरेंस दोनों को ऑनलाइन बेचती हैं, इसलिए सही जानकारी होने पर आप बिना एजेंट के भी समझदारी से पॉलिसी चुन सकते हैं. सिर्फ मोबाइल या लैपटॉप से कुछ ही मिनटों में लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस दोनों आसानी से खरीदे जा सकते हैं. यहां आसान भाषा में पूरी प्रक्रिया समझिए:
1.अपनी जरूरत समझें- तय करें कि आपको लाइफ इंश्योरेंस चाहिए, हेल्थ इंश्योरेंस, या दोनों. जरूरत अलग हो तो पॉलिसियां भी अलग लें.
2.इंश्योरेंस कंपनी की वेबसाइट खोलें- चुने हुए इंश्योरेंस कंपनी के होमपेज पर आपको लाइफ और हेल्थ दोनों इंश्योरेंस के विकल्प मिल जाएंगे.
3.पॉलिसी का प्रकार चुनें-
●    लाइफ इंश्योरेंस: एकमुश्त प्रीमियम टर्म प्लान या अन्य विकल्प चुनें. उम्र, कवरेज और अवधि भरें.
●    हेल्थ इंश्योरेंस: इंडिविजुअल या फैमिली फ्लोटर चुनें और उम्र व परिवार विवरण भरें.

4.प्लान की तुलना करें- फायदे, कवरेज, अस्पताल नेटवर्क, वेटिंग पीरियड और क्लेम रिकॉर्ड चेक करके सही प्लान चुनें.
5.जानकारी भरें- अपनी उम्र, परिवार का विवरण, स्वास्थ्य जानकारी, पहले से चल रही बीमारियां और आदतें (जैसे धूम्रपान/शराब) सही-सही भरें.
6.दस्तावेज़ अपलोड करें- पहचान पत्र, पते का प्रमाण और मेडिकल रिपोर्ट (यदि मांगी जाए) अपलोड करें.
7.प्रीमियम भुगतान करें- UPI, नेट बैंकिंग या कार्ड से पेमेंट करें. पेमेंट के तुरंत बाद पॉलिसी एक्टिव हो जाती है.
8.पॉलिसी दस्तावेज़ डाउनलोड करें- पेमेंट के बाद पॉलिसी डॉक्यूमेंट ईमेल पर आ जाते हैं. इन्हें सुरक्षित रखें और परिवार के एक सदस्य को भी भेज दें.

निष्कर्ष

अगर आपको दोनों तरह की सुरक्षा चाहिए, तो सबसे बेहतर यही है कि लाइफ इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस की पॉलिसियां अलग-अलग ली जाए, क्योंकि ये दोनों मिलकर आपके परिवार के लिए पूरा और संतुलित सुरक्षा कवच तैयार करती हैं. पॉलिसी लेने से पहले यह साफ तय कर लें कि आपको क्या ज्यादा जरूरी है, लाइफ इंश्योरेंस, जो आपकी अनुपस्थिति में परिवार को आर्थिक सुरक्षा देता है, या हेल्थ इंश्योरेंस, जो बीमारी या दुर्घटना की स्थिति में इलाज का खर्च संभालता है. 

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

1. क्या लाइफ इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस को एक साथ लिंक किया जा सकता है?
सीधे तौर पर नहीं. दोनों का उद्देश्य अलग होता है, लाइफ इंश्योरेंस मृत्यु के बाद परिवार को आर्थिक सुरक्षा देता है, जबकि हेल्थ इंश्योरेंस अस्पताल के बिल और इलाज का खर्च कवर करता है. हाँ, लाइफ इंश्योरेंस में हेल्थ से जुड़े राइडर जोड़कर कवरेज बढ़ाया जा सकता है.
2. क्या राइडर लेने से अलग हेल्थ इंश्योरेंस लेने की जरूरत नहीं रहती?
नहीं. राइडर सिर्फ सीमित कवरेज देते हैं. आज इलाज का खर्च तेजी से बढ़ रहा है, इसलिए पूरा मेडिकल खर्च संभालने के लिए अलग हेल्थ इंश्योरेंस जरूरी होता है.
3. लाइफ इंश्योरेंस के साथ कौन-कौन से हेल्थ राइडर लिए जा सकते हैं?
आप गंभीर बीमारी राइडर, दुर्घटना मृत्यु/विकलांगता राइडर और अस्पताल में भर्ती/सर्जरी राइडर जैसे विकल्प चुन सकते हैं.