Telegram App: YouTube, X, Facebook, Reddit और Telegram से ऑस्ट्रेलिया के ई-सेफ्टी कमीशन ने जवाब मांगा है. कमीशन ने पूछा है कि टेरिरिज्म कंटेंट से निपटने के लिए कंपनियां क्या कोशिश कर रही हैं. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन कंपनियों को लेटर भी भेजे गए हैं. कमीशन ने चिंता जताई है कि लाइव-स्ट्रीमिंग द्वारा लोगों को गलत कामों के लिए भर्ती किया जा रहा है. बता दें कि कमीशन इन कंपनियों पर जुर्माना लगा सकती है.
टेरर ग्रुप्स के लिए Telegram सबसे ज्यादा किया जाता है इस्तेमाल: कमिश्नर जूली इनमैन ग्रांट का कहना है कि मैसेजिंग ऐप टेलीग्राम का इस्तेमाल टेररिस्ट ग्रुप्स द्वारा किया जाता है. यहां से लोगों को कट्टरपंथी बनाने भर्ती किया जाता है. इन्होंने बताया कि इस लिस्ट में दूसरी पोजिशन यूट्यूब की है. इसका बड़ा यूजरबेस किसी भी बात को फैलाने के लिए काफी है. इनमें जिन चीजों को आतंकवाद माना जा रहा है उनमें यूक्रेन और गाजा के बीच हुई लड़ाई पर रिस्पॉन्स देने से लेकर महिलाओं के बारे में फालतू बातें फैलाने तक सब शामिल हैं.
आतंकवादी ग्रुप्स सबसे ज्यादा इस्तेमाल टेलीग्राम का करते हैं. कमीशन को इस बात की चिंता है कि इन कंपनियों के पास इस मामले से निपटने के लिए संसाधन नहीं होंगे. इसलिए जूली इनमैन ग्रांट का कहना है कि अगर जरूरी हो तो जुर्माना लगाया जा सकता है.
यह कदम तब उठाया गया था जब 2003 में एलन मस्क के X पर चाइल्ड एब्यूज को लेकर जुर्माना लगाया गया था. कंपनी ने इस जुर्माने का पुरजोर विरोध किया है. हालांकि, इस पूरे मामले पर अभी तक न तो रेडिट, एक्स, यूट्यूब और न ही मेटा ने कोई प्रतिक्रिया दी है.
बढ़ रहा है खराब कंटेंट:
देखा जाए तो पिछले कुछ समय में YouTube, X, Facebook, Reddit और Telegram पर खराब कंटेंट काफी बढ़ गया है. लोग केवल व्यूज के चक्कर में कुछ भी पोस्ट करने लगे हैं. वहीं, टेलिग्राम एक ऐसी जगह है जहां से सबसे ज्यादा डिजिटल फ्रॉड होते हैं. वहीं, जैसा कि बताया गया है टेरर ग्रुप्स भी यहां मौजूद हैं. इन सब से निपटने के लिए हर कंपनी को कोई न कोई कदम तो उठाना ही होगा.