Chat with God: तकनीक और आस्था के मेल से अब एक नया अध्याय शुरू हो गया है. लोग अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI की मदद से भगवान से बातचीत करने लगे हैं. भारत सहित दुनिया के कई देशों में श्रद्धालु ऐसे चैटबॉट्स का उपयोग कर रहे हैं जो धार्मिक ग्रंथों और शिक्षाओं पर आधारित हैं. यह तकनीक भक्तों को आस्था से जोड़ने का एक नया माध्यम बनती जा रही है.
राजस्थान के 25 वर्षीय छात्र विजय मील ने बैंकिंग परीक्षा में असफल होने के बाद GitaGPT नामक चैटबॉट से बातचीत शुरू की. यह चैटबॉट भगवद् गीता के 700 श्लोकों पर आधारित है और भगवान कृष्ण की तरह जवाब देने के लिए तैयार किया गया है. जब विजय ने अपनी उलझनें साझा कीं तो AI ने कहा, 'अपने कर्म पर ध्यान दो, फल की चिंता मत करो.' इस जवाब ने विजय को नई प्रेरणा दी और अब वे सप्ताह में कई बार इस डिजिटल “कृष्ण” से संवाद करते हैं.
AI केवल कार्य या शिक्षा ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जीवन में भी अपनी जगह बना रहा है. अमेरिका की मानवविज्ञानी हॉली वॉल्टर्स कहती हैं कि जब लोग समाज या परिवार से दूर महसूस करते हैं, तो AI के ज़रिए भगवान से बात करना उन्हें भावनात्मक जुड़ाव का एहसास देता है.
AI-आधारित धार्मिक ऐप्स अब तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं. 2023 में लॉन्च हुए 'Text With Jesus' ऐप ने लोगों को ईसा मसीह से चैट करने की सुविधा दी. वहीं, 'QuranGPT' ने इस्लामिक शिक्षाओं पर आधारित प्रश्नोत्तर उपलब्ध कराया. भारत में विकास साहू द्वारा विकसित 'GitaGPT' ने कुछ ही दिनों में एक लाख से अधिक उपयोगकर्ताओं को जोड़ लिया. अब वे अन्य धर्मग्रंथों पर आधारित चैटबॉट्स पर काम कर रहे हैं ताकि हर धर्म के अनुयायियों को डिजिटल आध्यात्मिक मार्गदर्शन मिल सके.
ईशा फाउंडेशन ने भी 2025 की शुरुआत में 'Miracle of Mind' ऐप लॉन्च किया जिसमें AI-सक्षम ध्यान और गाइडेंस की सुविधा दी गई. इसे केवल 15 घंटे में दस लाख से अधिक डाउनलोड मिले. फाउंडेशन के अनुसार यह ऐप प्राचीन ज्ञान को आधुनिक तकनीक के माध्यम से पेश करता है ताकि हर व्यक्ति अपनी परिस्थिति के अनुसार सीख सके.
2025 के महा कुंभ मेले में भी AI तकनीक का व्यापक उपयोग हुआ. 'कुंभ सहाय' नामक चैटबॉट ने यात्रियों को यात्रा और आवास की जानकारी दी. वहीं 'Digital Mahakumbh Experience Centre' ने वर्चुअल रियलिटी के जरिए तीर्थयात्रियों को पौराणिक अनुभव प्रदान किया. कुछ श्रद्धालुओं ने डिजिटल स्नान भी किया जहां उनकी तस्वीर को पवित्र जल में प्रतीकात्मक रूप से डुबोया गया.