नई दिल्ली: आज के दौर में फिल्म देखना सिर्फ कहानी तक सीमित नहीं रह गया है. दर्शक थिएटर में बैठकर बेहतरीन तस्वीर और दमदार साउंड का अनुभव चाहते हैं. इसी वजह से टिकट बुकिंग के समय विकल्प बढ़ गए हैं.
2D और IMAX 2D के नाम अक्सर एक जैसे लगते हैं, लेकिन अनुभव अलग होता है. सही जानकारी न होने पर दर्शक जरूरत से ज्यादा पैसा खर्च कर बैठते हैं या बेहतर अनुभव से चूक जाते हैं.
2D फॉर्मेट सबसे पारंपरिक और आम सिनेमा अनुभव माना जाता है. इसमें फिल्म सामान्य डिजिटल प्रोजेक्टर पर दिखाई जाती है और स्क्रीन का आकार सीमित होता है. ज्यादातर सिंगल स्क्रीन और मल्टीप्लेक्स थिएटर इसी फॉर्मेट में फिल्में दिखाते हैं. साउंड क्वालिटी अच्छी होती है, लेकिन विजुअल गहराई और डिटेल उतनी प्रभावशाली नहीं होती. यह विकल्प बजट में फिल्म देखने वालों के लिए उपयुक्त रहता है.
IMAX 2D में फिल्म दो आयामों में ही दिखाई जाती है, लेकिन तकनीक पूरी तरह उन्नत होती है. इसमें खास IMAX प्रोजेक्टर इस्तेमाल किए जाते हैं, जिनसे तस्वीर ज्यादा साफ और उजली नजर आती है. स्क्रीन का आकार सामान्य 2D स्क्रीन से काफी बड़ा होता है, जिससे दर्शक खुद को फिल्म का हिस्सा महसूस करता है. यही वजह है कि एक्शन और विजुअल फिल्मों में इसका असर ज्यादा दिखता है.
2D थिएटर में आमतौर पर डॉल्बी या सराउंड साउंड सिस्टम होता है. वहीं IMAX 2D में विशेष रूप से डिजाइन किया गया साउंड सिस्टम लगाया जाता है, जिसमें हर आवाज ज्यादा गहराई और स्पष्टता के साथ सुनाई देती है. छोटे डायलॉग से लेकर तेज बैकग्राउंड म्यूजिक तक हर ध्वनि संतुलित होती है. यही कारण है कि IMAX का अनुभव ज्यादा immersive माना जाता है.
IMAX 2D के टिकट आम 2D के मुकाबले महंगे होते हैं. इसका कारण महंगी तकनीक, बड़ा स्क्रीन साइज और खास साउंड सिस्टम है. थिएटर में सीटों की संख्या भी सीमित होती है. वहीं 2D टिकट सस्ते होते हैं और हर शहर में आसानी से उपलब्ध रहते हैं. दर्शक अपने बजट और पसंद के हिसाब से विकल्प चुन सकता है.
अगर आप कहानी और साधारण मनोरंजन के लिए फिल्म देख रहे हैं, तो 2D पर्याप्त होता है. लेकिन अगर फिल्म बड़े विजुअल, एक्शन या शानदार सिनेमेटोग्राफी पर आधारित है, तो IMAX 2D बेहतर अनुभव देता है. सही विकल्प आपकी अपेक्षा, बजट और फिल्म के प्रकार पर निर्भर करता है.