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India Daily

'AI आज इंसानी कामों की जगह ले सकता है लेकिन...', बिल गेट्स ने क्यों कही ये बात

माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) साधारण कामों में इंसानों की जगह ले सकता है, लेकिन अभी यह जटिल कोडिंग जैसे कार्यों के लिए सक्षम नहीं है. CNN को दिए एक इंटरव्यू में गेट्स ने कहा कि AI की प्रगति उन्हें चौंका रही है, लेकिन विशेषज्ञ इस बात पर एकमत नहीं हैं कि AI कब तक इंसानी क्षमताओं की बराबरी कर पाएगा.

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Edited By: Kuldeep Sharma
Bill Gates
Courtesy: web

माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स, जो न केवल एक तकनीकी विशेषज्ञ हैं बल्कि भविष्य की दिशा को भी गहराई से समझते हैं, ने AI पर अपने हालिया विचार साझा करते हुए कहा है कि यह तकनीक जितनी तेज़ी से आगे बढ़ रही है, वह चौंकाने वाली है. इसके बावजूद वह मानते हैं कि एआई अभी भी ज्यादा जटिल कोडिंग को पूरी तरह से नहीं समझ पा रहा है.

गेट्स ने कहा कि आज की AI तकनीक साधारण कोडिंग कार्यों को इंसानों से बेहतर और तेज़ी से कर सकती है. लेकिन जब बात आती है जटिल और गहराई वाली कोडिंग की, तो वहां अभी भी AI सीमित साबित हो रही है. उन्होंने कहा कि टेक जगत में विशेषज्ञ इस बात पर सहमत नहीं हैं कि क्या AI अगले एक-दो साल में यह क्षमता हासिल कर लेगी या इसमें एक दशक लग सकता है.

टेलीसपोर्ट और टेलीसेल्स नौकरियों पर सबसे पहले असर

गेट्स ने बताया कि AI का सबसे पहला प्रभाव उन नौकरियों पर पड़ेगा जो दोहराव वाली होती हैं, जैसे टेलीसपोर्ट और टेलीसेल्स. उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में AI इंसानों की तुलना में अधिक सटीक और किफायती साबित हो रही है. इससे यह स्पष्ट है कि आने वाले समय में कई नौकरियों में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं.

पैटर्न रिकग्निशन आधारित नौकरियां भी खतरे में

साथ ही बिल गेट्स ने बताया कि AI का असर उन क्षेत्रों पर भी पड़ सकता है, जहां पैटर्न पहचानना ज़रूरी होता है. जैसे पैरालीगल, अकाउंटिंग या डेटा एंट्री जैसे कार्य. ऐसे पेशों में काम करने वाले कॉलेज-शिक्षित युवाओं के लिए नौकरी की संभावनाएं कम हो सकती हैं. उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी तो इसकी पॉजिटिव साइड भी है, जैसे छोटी कक्षा के आकार, लंबी छुट्टियां और नई सेवाओं का विकास.

ग़रीब देशों में AI से बदलाव की उम्मीद

गेट्स ने कहा कि उनका लक्ष्य AI को केवल विकसित देशों तक सीमित न रखना है. वे चाहते हैं कि यह तकनीक निम्न-आय वाले देशों में स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि जैसे क्षेत्रों में मदद करे. उन्होंने बताया कि वह इस दिशा में माइक्रोसॉफ्ट और OpenAI के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि AI से समाज के हर तबके को लाभ मिल सके.