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सजा या मजा! 10 साल की जेल सिर्फ 10 मिनट में हो जाएगी खत्म, क्या बदल जाएगी जुर्म की दुनिया?

AI Genrated Punishments for Prisioners: दुनिया भर में अभी भी जेल प्रणाली काफी हद तक पुरानी है. सजा का मुख्य उद्देश्य अपराधियों को दंडित करना माना जाता है, लेकिन अपराध को कम करने और समाज में फिर से स्थापित करने की दिशा में जेल प्रणाली कम ही प्रभावी साबित हुई है. यही वजह है कि जेल सुधार की नई अवधारणाएं सामने आ रही हैं, जिनमें से एक है "कॉग्निफाई".

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Edited By: India Daily Live
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Courtesy: IDL

AI Genrated Punishments for Prisioners: अलेक्स डेलेर्ज को याद करें, स्टेनली कुब्रिक की फिल्म "ए क्लॉकवर्क ऑरेंज" का वह खलनायक जिसे हत्या, बलात्कार और यातना के दृश्य देखने के लिए मजबूर किया जाता है. उसी तरह का एक नया जेल सुधार का विचार सामने आया है, जिसका नाम है "कॉग्निफाई". इसका उद्देश्य अपराधियों को उनके किए गए क्राइम्स का इमोशनल असर उनके पीड़ितों की नजर से अनुभव करवाना है.

दुनिया भर में अभी भी जेल प्रणाली काफी हद तक पुरानी है. लेकिन बर्लिन के एक फिल्म निर्माता और विज्ञान संचारक हाशेम अल-घाली इसे थोड़ा और "ए क्लॉकवर्क ऑरेंज" जैसा बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

ऐसा डिवाइस जो घटा देगा क्राइम रेट

साइंस टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार कॉग्निफाई नामक इस जेल सुधार प्रणाली में अपराधियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) द्वारा बनाए गए क्राइम्स के वीडियो दिखाए जाएंगे, जिससे वे अपराध के इमोशनल असर को अपने पीड़ितों की तरह महसूस कर सकें. हालांकि, यह फिल्म की तरह क्रूरतापूर्ण न होकर उसकी तुलना में ज्यादा मानवीय तरीके से किया जाएगा.

हाशेम अल-घाली द्वारा विकसित इस कॉग्निफाई प्रणाली में एक वर्चुअल रियलिटी (वीआर) डिवाइस शामिल होता है. यह डिवाइस एआई द्वारा बनाए गए क्राइम्स के वीडियो दिखाता है. साथ ही दिमाग में लगाया गया एक डिवाइस व्यक्ति को अपराध के लिए पछतावा और गिल्ट जैसी भावनाओं का अनुभव कराता है.

इन एआई द्वारा बनाए गए क्राइम्स के दृश्य इतने विस्तृत होंगे कि मस्तिष्क में लगे डिवाइस की मदद से अपराधी को अपने क्राइम्स के इमोशनल प्रभावों का सामना करना होगा. इससे अपराधियों के भविष्य में दोबारा अपराध करने की संभावना कम हो जाएगी.

यह कैसे काम करता है?

कॉग्निफाई प्रणाली अपराधियों के दिमाग का हाई-रिजॉल्यूशन ब्रेन स्कैन कर उनके तंत्रिका मार्गों का सटीक नक्शा बनाती है. फिर इस नक्शे का इस्तेमाल करके दिमाग के कई क्षेत्रों को लक्षित किया जाता है, जिनमें स्मृति, सोच और तार्किक विचार शामिल हैं.

इस तरीके का इस्तेमाल करते हुए कॉग्निफाई डिवाइस यह सुनिश्चित करता है कि कृत्रिम रूप से डाली गई यादें (या अपराध के दृश्य) मस्तिष्क के तंत्रिका नेटवर्क में आसानी से समा जाएं. इससे अपराधियों को उनके क्राइम्स के वास्तविक प्रभावों, जैसे पीड़ित के दिमाग और शरीर पर पड़े प्रभावों का अनुभव हो सकेगा.

मेंटली 10 साल पर असल में सिर्फ मिनटों की होगी सजा

हालांकि एआई द्वारा बनाई गई क्राइम्स की इन क्लिप्स को देखने का वास्तविक समय कुछ ही मिनटों का होगा, लेकिन इन्हें इस तरह से डिजाइन किया जाएगा कि अपराधियों को यह समय कई सालों जैसा लगे. यह प्रभाव कैदियों द्वारा समय को समझने के तरीके को बदलकर हासिल किया जाएगा.

इसके अलावा, प्रत्येक कैदी के रिहैबलिटेशन प्रोग्राम की जरूरतों के हिसाब से इन "यादों" को बदला भी जा सकता है, जो इस बात पर निर्भर करेगा कि उनका अपराध कितना गंभीर था.

जरूरत के हिसाब से बदल जाएगी मेमोरी

जैसे-जैसे कैदी इन गहन रिहैबलिटेशन प्रोग्राम्स से गुजरेंगे, एक केंद्रीय कंप्यूटर सूचना रिकॉर्ड करता रहेगा. यह शोधकर्ताओं को यह समझने में मदद करेगा कि अपराधियों के पीछे क्या मकसद होता है और सामान्य रूप से कोई व्यक्ति अपराध करने के लिए प्रेरित क्यों होता है.