menu-icon
India Daily

होर्मुज जलडमरूमध्य बंद होने से दुनिया पर कितना असर? बिगड़ जाएगा 'तेल का खेल'

दुनिया की कुल तेल खपत का लगभग पांचवां हिस्सा इस जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है. एनालिटिक्स फर्म वोर्टेक्सा के आंकड़ों के अनुसार, 2022 की शुरुआत से लेकर पिछले महीने तक लगभग 17.8 मिलियन से 20.8 मिलियन बैरल कच्चा तेल, कंडेनसेट और ईंधन प्रतिदिन जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है.

auth-image
Edited By: Gyanendra Sharma
The strait of Hormuz
Courtesy: Social Media

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान-इजरायल जंग में कुदने का फैसला लिया. रविवार को ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर अमेरिकी फाइटर जेट ने हमला किया. इस हमले के बाद  मध्य पूर्व में तनाव बढ़ गया है. 1979 की क्रांति के बाद से इस्लामी गणराज्य के खिलाफ सबसे बड़ी पश्चिमी सैन्य कार्रवाई में इजरायल के साथ शामिल होकर  विश्व अब ईरान की प्रतिक्रिया के लिए तैयार है.

विश्लेषकों का कहना है कि ईरान के पास जवाबी कार्रवाई करने का एक तरीका होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करना है जो एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग है, जिसके माध्यम से प्रतिदिन विश्व की तेल आपूर्ति का पांचवां हिस्सा 20 मिलियन बैरल और अधिकांश तरलीकृत गैस गुजरती है. ईरान ने अतीत में जलडमरूमध्य को बंद करने की धमकी दी थी, जिससे व्यापार प्रतिबंधित हो जाएगा और वैश्विक तेल की कीमतें प्रभावित होंगी लेकिन उसने कभी भी अपनी धमकी पर अमल नहीं किया.

होर्मुज जलसंधि क्या है?

दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण तेल अवरोध बिंदुओं में से एक होर्मुज जलडमरूमध्य भू-रणनीतिक दृष्टि से संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य देशों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था की मजबूती तेल के प्रवाह पर बहुत अधिक निर्भर है. यह जलडमरूमध्य ओमान और ईरान के बीच स्थित है तथा उत्तर में खाड़ी को दक्षिण में ओमान की खाड़ी और उसके आगे अरब सागर से जोड़ता है. यह अपने सबसे संकरे स्थान पर 33 किमी चौड़ा है, जबकि शिपिंग लेन केवल 3 किमी चौड़ी है.

यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

दुनिया की कुल तेल खपत का लगभग पांचवां हिस्सा इस जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है. एनालिटिक्स फर्म वोर्टेक्सा के आंकड़ों के अनुसार, 2022 की शुरुआत से लेकर पिछले महीने तक लगभग 17.8 मिलियन से 20.8 मिलियन बैरल कच्चा तेल, कंडेनसेट और ईंधन प्रतिदिन जलडमरूमध्य से होकर बहता था. पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के सदस्य  सऊदी अरब, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत और इराक अपने अधिकांश कच्चे तेल का निर्यात मुख्य रूप से एशिया में जलडमरूमध्य के माध्यम से करते हैं.

यदि इसे बंद कर दिया गया तो क्या होगा?

जलडमरूमध्य को बंद करने का लाभ यह है कि इससे ट्रम्प पर प्रत्यक्ष रूप से लागत थोपी जा सकेगी, क्योंकि इससे तेल की कीमतों में तेजी आएगी जिसका अमेरिका और पूरे विश्व में तत्काल मुद्रास्फीति प्रभाव पड़ेगा. लेकिन यह नाटकीय आर्थिक आत्म-क्षति का कार्य भी होगा. ईरानी तेल भी इसी मार्ग का उपयोग करता है और होर्मुज को बंद करने से खाड़ी के अरब देशों को जो इजरायली हमले के अत्यधिक आलोचक रहे हैं अपने हितों की रक्षा के लिए युद्ध में उतरने का जोखिम है.

खास तौर पर जलडमरूमध्य को बंद करने से चीन को काफी नुकसान होगा. दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ईरान के तेल निर्यात का लगभग 90% हिस्सा खरीदती है जो अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के अधीन है. भारत की बात करें तो भारत अपनी ऊर्जा जरुरतों को 60 फीसदी हिस्सा खाड़ी के देशों से आयात करता है. होर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने भारत पर भी असर पड़ेगा.