Muslim Marriages Act: असम में मुस्लिम मैरिज और डिवोर्स रजिस्ट्रेशन एक्ट को रद्द किए जाने के फैसले पर उत्तर प्रदेश के सांसद ने अपनी प्रतिक्रिया दी. यूपी के सांसद ने शनिवार यानी आज कहा कि मुस्लिम हमेशा शरीयत और कुरान को मानेंगे. उन्होंने कहा कि वे (सरकार) जितना चाहें उतने एक्ट का ड्राफ्ट तैयार कर सकते हैं. हर धर्म के अपने रीति-रिवाज हैं, जिनका पालन कई सालों से किया जा रहा है, नए कानूनों के बनने के बाद भी पुराने कानूनों का ही पालन किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर ये असम की कैबिनेट का एक भेदभावपूर्ण निर्णय है. असम सरकार यूसीसी और बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के बारे में बात कर रही थी, लेकिन वे अज्ञात कारणों से ऐसा करने में विफल रहे. अब वे चुनाव से ठीक पहले पुराने कानून को रद्द कर मुसलमानों को उनके अधिकार से वंचित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार भेदभाव करके हिंदू मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में करना चाह रही है. वे तर्क दे रहे हैं कि ये आजादी के पहले का, अंग्रेजों के जमाने का कानून है, ये सही नहीं है. साथ ही बाल विवाह का भी तर्क सही नहीं है. ये मुसलमानों का निजी कानून है जिसे रद्द नहीं किया जा सकता. मैं इस पर अपनी पार्टी के नेताओं से चर्चा करूंगा.
#WATCH | Moradabad, Uttar Pradesh | On Assam Government repealing the Assam Muslim Marriages & Divorces Registration Act, SP MP S.T. Hasan says, "There is no need to highlight this so much. Muslims will follow Shariat and Quran. They (the government) may draft as many Acts as… pic.twitter.com/pf6Nyydh9N
— ANI (@ANI) February 24, 2024
इस बीच, एआईयूडीएफ विधायक हाफिज रफीकुल इस्लाम ने कहा कि हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली असम सरकार में उत्तराखंड की तर्ज पर राज्य में समान नागरिक संहिता लाने की हिम्मत नहीं है. उन्होंने कहा कि वे (असम सरकार) ऐसा नहीं कर सकते. वे जो उत्तराखंड में लाए, वो यूसीसी भी नहीं है. वे असम में भी यूसीसी लाने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन मुझे लगता है कि वे ऐसा नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि चुनाव नजदीक आने के कारण भाजपा सरकार ये हथकंडे अपना रही है.
उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, ये मुसलमानों को निशाना बनाने की उनकी रणनीति है. इसलिए, वे असम में बहुविवाह या यूसीसी पर कोई विधेयक नहीं ला सके. इसलिए, वे असम मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट को रद्द कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि असम कैबिनेट को किसी संवैधानिक अधिकार को निरस्त करने या संशोधित करने का अधिकार नहीं है.
असम कैबिनेट ने शुक्रवार को जिस मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स रजिस्ट्रेशन एक्ट को रद्द किया, उसे अंग्रेजों के जमाने का कानून बताया गया. मुख्यमंत्री हिमंत सरमा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा- इस एक्ट में मैरिज रजिस्ट्रेशन की अनुमति देने वाले प्रावधान हैं, भले ही दूल्हा और दुल्हन की उम्र कानून के मुताबिक सही न हो. उन्होंने कहा कि असम कैबिनेट का ये कदम राज्य में चाइल्ड मैरिज पर रोक लगाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है. दरअसल, भारतीय कानून के मुताबिक, शादी के वक्त दूल्हे की उम्र 21 और दुल्हन की उम्र 18 साल होना जरूरी है. अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर ये बाल विवाह की श्रेणी में आएगा.
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