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कफ सिरप रैकेट में यूपी का पूर्व कांस्टेबल गिरफ्तार, वीडियो में इसका आलीशान घर देखकर आप भी हो जाएंगे हैरान

यूपी के खांसी सिरप तस्करी घोटाले में बर्खास्त सिपाही आलोक प्रताप सिंह का आलीशान बंगला जांच एजेंसियों के रडार पर है. ईडी और एसटीएफ करोड़ों की अवैध कमाई की जांच कर रही हैं.

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Edited By: Km Jaya
Luxury House In Lucknow India daily
Courtesy: @NCIBHQ X account

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सामने आए खांसी की सिरप तस्करी घोटाले ने अब एक नए मोड़ पर सबका ध्यान खींच लिया है. इस बहुचर्चित मामले के केंद्र में लखनऊ का एक आलीशान बंगला है, जो बर्खास्त सिपाही आलोक प्रताप सिंह का बताया जा रहा है. यह घोटाला करीब 1000 करोड़ रुपये का आंका जा रहा है और इसकी कड़ियां देश से बाहर बांग्लादेश और नेपाल तक जुड़ी बताई जा रही हैं.

प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत उत्तर प्रदेश, झारखंड और एक अन्य राज्य में छापेमारी की. इसी दौरान आलोक प्रताप सिंह के लखनऊ स्थित बंगले के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए. अधिकारियों के मुताबिक इस बंगले पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं. 

कितनी है इस बंगले की कीमत?

करीब 7000 वर्ग फुट में फैला यह बंगला हल्के क्रीम रंग में रंगा हुआ है और इसमें सुनहरे डिजाइन, ऊंचे खंभे, बड़ी बालकनी, सजे हुए लोहे के रेलिंग और लकड़ी की नक्काशी वाले दरवाजे हैं. बंगले में सर्पिल सीढ़ी, चौड़ा बरामदा और ढका हुआ पार्किंग एरिया भी मौजूद है. प्रारंभिक जांच में केवल निर्माण लागत करीब 5 करोड़ रुपये बताई जा रही है, जिसमें जमीन की कीमत शामिल नहीं है.

कहां से आया इतना पैसा?

आलोक प्रताप सिंह को करीब दस दिन पहले लखनऊ से गिरफ्तार किया गया था और वह फिलहाल जेल में बंद है. पुलिस के अनुसार वह काफी समय से इस बंगले में अपने परिवार के साथ रह रहा था. जांच एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि इतनी बड़ी संपत्ति के लिए धन कहां से आया.

जांच में क्या आया सामने?

एसटीएफ की जांच में सामने आया है कि आलोक प्रताप सिंह इस अवैध नेटवर्क का हिस्सा था और उत्तर प्रदेश व झारखंड में दो थोक दवा इकाइयों का संचालन करता था. यूपी पुलिस मूल मामले की जांच कर रही है, जबकि ईडी मनी लॉन्ड्रिंग के पहलू की पड़ताल कर रही है.

क्या है पूरा मामला?

आलोक प्रताप सिंह मूल रूप से चंदौली का रहने वाला है. वह 2006 में सोना लूट कांड में गिरफ्तार हुआ था, जिसके बाद उसे नौकरी से बर्खास्त किया गया. सबूतों के अभाव में बरी होने के बाद उसे दोबारा नौकरी मिली, लेकिन लगातार शिकायतों के चलते 2019 में फिर से बर्खास्त कर दिया गया. 

यह पूरा मामला फरवरी 2024 में तब सामने आया, जब कोडीन युक्त खांसी की सिरप को नशे के रूप में बेचने और तस्करी के आरोपों की जांच शुरू हुई. अब तक 120 से ज्यादा एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं और 32 लोग गिरफ्तार किए गए हैं.