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MNREGA E-KYC Rules: सरकार ने बदले मनरेगा के नियम, श्रमिकों को हर साल करना होगा ये काम तभी मिलेगा भुगतान

MNREGA E-KYC Rules: मनरेगा श्रमिकों के लिए अब हर साल ई-केवाईसी प्रक्रिया पूरी करना अनिवार्य कर दिया गया है. ऐसा न करने पर उनकी हाजिरी दर्ज नहीं होगी और मजदूरी का भुगतान रुक जाएगा. आजमगढ़ की सभी ग्राम पंचायतों में सक्रिय श्रमिकों का सत्यापन शुरू कर दिया गया है.

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Edited By: Km Jaya
मनरेगा मजदूर
Courtesy: Social Media

MNREGA E-KYC Rules: सरकार ने मनरेगा यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के श्रमिकों के लिए बड़ा बदलाव किया है. अब योजना के तहत काम करने वाले सभी श्रमिकों के लिए हर साल ई-केवाईसी कराना अनिवार्य कर दिया गया है. अगर कोई श्रमिक यह प्रक्रिया पूरी नहीं करेगा तो उसकी हाजिरी दर्ज नहीं होगी और मजदूरी का भुगतान भी नहीं किया जाएगा.

आजमगढ़ जिले की 1811 ग्राम पंचायतों में करीब 3 लाख 24 हजार 906 सक्रिय मनरेगा श्रमिक हैं, जिन्हें अब यह ई-केवाईसी प्रक्रिया पूरी करनी होगी. सरकार का उद्देश्य इस प्रक्रिया के माध्यम से फर्जी जॉब कार्ड धारकों को चिन्हित करना और योजना में पारदर्शिता लाना है.

जीवित प्रमाण पत्र करना होगा अपलोड

सरकारी पेंशनधारकों की तरह अब मनरेगा श्रमिकों को भी हर वर्ष जीवित प्रमाण पत्र यानी लाइफ सर्टिफिकेट वेबसाइट पर अपलोड करना होगा. इसके बिना उनके नाम से हाजिरी दर्ज नहीं हो सकेगी. इससे उनकी दैनिक मजदूरी प्रभावित हो सकती है. सरकार का मानना है कि इससे यह सुनिश्चित होगा कि योजना का लाभ केवल असली और सक्रिय श्रमिकों तक ही पहुंचे.

सक्रिय श्रमिकों का सत्यापन शुरू

आजमगढ़ जनपद में कुल 5 लाख 75 हजार 401 मनरेगा श्रमिक पंजीकृत हैं, जिनमें से लगभग 2.5 लाख निष्क्रिय हैं. अब प्रशासन ने सक्रिय श्रमिकों का सत्यापन शुरू कर दिया है ताकि केवल पात्र व्यक्तियों को ही रोजगार का लाभ मिल सके. इस काम के लिए 600 से अधिक रोजगार सेवकों को ग्राम पंचायतों में तैनात किया गया है.

ई-केवाईसी पूरा करने की अपील

श्रमिक अपने मनरेगा जॉब कार्ड और आधार कार्ड के साथ ग्राम पंचायत कार्यालय जाकर ई-केवाईसी प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं. यह प्रक्रिया ऑनलाइन भी की जा सकती है ताकि उन्हें किसी तरह की देरी या असुविधा न हो. प्रशासन ने सभी श्रमिकों से अपील की है कि वे जल्द से जल्द ई-केवाईसी पूरी करें ताकि भुगतान में कोई अड़चन न आए. अधिकारियों के अनुसार, यह कदम योजना में पारदर्शिता बढ़ाने और फर्जी लाभार्थियों को बाहर करने की दिशा में एक बड़ा सुधार है. इससे असली श्रमिकों को समय पर मजदूरी और रोजगार का लाभ मिल सकेगा.