Allahabad High Court: आलोक मौर्य ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक महत्वपूर्ण याचिका दायर कर अपनी पत्नी और पीसीएस अधिकारी ज्योति मौर्य से गुजारा भत्ता मांगने के फैमिली कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. इस मामले में इलाहाबाद स्थित फैमिली कोर्ट ने उनकी गुजारा भत्ता संबंधी याचिका को 4 जनवरी 2025 को खारिज कर दिया था. अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस संबंध में ज्योति मौर्य को एक बार फिर से नोटिस जारी किया है, और अब इस मामले की सुनवाई 8 अगस्त 2025 को होगी. इस मामले ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि क्या पति तलाक के मामले में पत्नी से गुजारा भत्ता मांग सकता है, और इस संबंध में कानून क्या कहता है.
ज्योति मौर्य ने प्रयागराज फैमिली कोर्ट में आलोक मौर्य से तलाक की याचिका दायर की है, जो अभी भी लंबित है. इस दौरान आलोक ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 24 के तहत भरण-पोषण के लिए आवेदन दायर किया था. हालांकि, फैमिली कोर्ट ने उनके आवेदन को खारिज कर दिया. इसके खिलाफ आलोक ने हाईकोर्ट में प्रथम अपील दायर की है. उनकी याचिका में कहा गया है, "मैं एक मामूली सरकारी नौकरी करता हूँ और कई बीमारियों से पीड़ित हूँ, जबकि मेरी पत्नी ज्योति मौर्य एक प्रशासनिक अधिकारी हैं." आलोक का दावा है कि उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वे गुजारा भत्ता पाने के हकदार हैं.
कानून क्या कहता है?
हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 24 के तहत, तलाक या अन्य वैवाहिक विवादों के दौरान पति या पत्नी में से कोई भी पक्ष गुजारा भत्ता मांग सकता है, बशर्ते वह आर्थिक रूप से कमजोर हो या अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ हो. यह प्रावधान लिंग-निरपेक्ष है, जिसका अर्थ है कि पति भी पत्नी से गुजारा भत्ता मांग सकता है, यदि वह अपनी आर्थिक कमजोरी साबित कर सके. कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यदि पति यह सिद्ध करता है कि उसकी आय पर्याप्त नहीं है और पत्नी की आर्थिक स्थिति मजबूत है, तो उसे गुजारा भत्ता मिल सकता है.
हाईकोर्ट की सुनवाई और निर्देश
ज्योति के पति आलोक मौर्या की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अरिंदम सिन्हा और डॉ. योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने केस की अगली सुनवाई के लिए 8 अगस्त को निर्धारित की है. बता दें आलोक ने अपनी अपील 77 दिनों की देरी से दायर की थी, जिसके लिए उन्होंने देरी माफी की अर्जी भी दाखिल की है. हाईकोर्ट ने उन्हें फैमिली कोर्ट के फैसले का अंग्रेजी अनुवाद जमा करने का निर्देश दिया है.
आलोक और ज्योति की कहानी
आलोक मौर्य की नियुक्ति 2009 में पंचायती राज विभाग में सफाई कर्मचारी के रूप में हुई थी. 2010 में अलोक की शादी ज्योति मौर्य से हुई. आलोक का दावा है कि उन्होंने ज्योति की पढ़ाई के लिए हर संभव प्रयास किया. हालांकि, 2015 में ज्योति की पीसीएस परीक्षा पास करने और एसडीएम के रूप में नियुक्ति के बाद, उनके और उनके परिवार के प्रति ज्योति का व्यवहार बदल गया. आलोक का आरोप है, "ज्योति की सफलता के बाद उनके रवैये में बदलाव आया, जिसने हमारे रिश्ते को प्रभावित किया."