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Uttar Pradesh Education: उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों को बचाने की लड़ाई, आप सांसद संजय सिंह ने संसद में उठाई आवाज

आम आदमी पार्टी (आप) ने उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों को बंद करने और उनके विलय की नीति के खिलाफ अपनी लड़ाई को और तेज कर दिया है. इस मुद्दे को अब संसद के पटल पर भी उठाया जाएगा.

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Edited By: Garima Singh
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Courtesy: X

Uttar Pradesh Education: आम आदमी पार्टी (आप) ने उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों को बंद करने और उनके विलय की नीति के खिलाफ अपनी लड़ाई को और तेज कर दिया है. इस मुद्दे को अब संसद के पटल पर भी उठाया जाएगा. आप के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने इस गंभीर विषय पर चर्चा की मांग करते हुए राज्यसभा में नोटिस दिया है. मानसून सत्र के पहले दिन दी गई इस नोटिस को सभापति ने स्वीकार कर लिया है. संजय सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “सड़क से लेकर सदन तक बच्चों का स्कूल बचाने की आम आदमी पार्टी की लड़ाई जारी रहेगी. शैक्षिक परिवर्तन का अर्थ सरकारी स्कूलों को बंद करना नहीं होना चाहिए, बल्कि उनको और मज़बूत बनाना होना चाहिए.”

संजय सिंह ने नियम 267 के तहत राज्यसभा के महासचिव को नोटिस देकर उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों के बड़े पैमाने पर विलय और बंद होने के मुद्दे को उठाया है. उन्होंने अपने पत्र में लिखा, “मैं राज्यसभा का ध्यान उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों के बड़े पैमाने पर विलय और बंद होने से संबंधित अति गंभीर मामले की ओर आकर्षित करना चाहता हूं, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21ए और बच्चों के निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत गारंटीकृत शिक्षा के अधिकार को कमजोर कर रहा है.” यह कदम शिक्षा के मौलिक अधिकार को कमजोर करने वाला है, जो देश के भविष्य को खतरे में डाल सकता है.

स्कूल बंदी का चिंताजनक आलम

उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों की स्थिति चिंताजनक है. संजय सिंह के अनुसार, राज्य में 10,827 से अधिक प्राथमिक विद्यालयों का विलय हो चुका है, जबकि लगभग 25,000 स्कूल बंद किए जा चुके हैं. इसके अलावा, 5,000 अन्य स्कूलों को बंद करने के आदेश जारी हो चुके हैं. यह स्थिति ग्रामीण, दलित, आदिवासी और पिछड़े समुदायों के बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रही है. बिना सामुदायिक परामर्श के किए जा रहे इन विलय और बंदी के कारण बच्चों को अब स्कूल तक पहुंचने के लिए 3-4 किलोमीटर या उससे अधिक दूरी पैदल तय करनी पड़ रही है, जो उनकी शिक्षा की पहुंच को और कठिन बना रहा है.

शिक्षक और बुनियादी ढांचे की कमी

संजय सिंह ने इस संकट के पीछे शिक्षकों की भारी कमी को भी जिम्मेदार ठहराया है. उत्तर प्रदेश में प्राथमिक विद्यालयों में 1.93 लाख से अधिक शिक्षकों के पद रिक्त हैं. माध्यमिक और उच्च माध्यमिक संस्थानों में भी हजारों पद खाली पड़े हैं. कई स्कूलों में एकमात्र शिक्षक पूरे स्कूल का प्रबंधन कर रहा है, जिससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना असंभव हो गया है. संजय सिंह ने कहा, “शैक्षिक परिवर्तन का अर्थ स्कूलों को बंद करना नहीं, बल्कि स्कूलों को मज़बूत बनाना होना चाहिए. हमें शिक्षकों, बुनियादी ढांचे और समावेशन में निवेश करना चाहिए.”

राष्ट्रीय संकट और समाधान की मांग

यह मुद्दा केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक राष्ट्रीय संकट है. पूरे देश में लगभग 90,000 सरकारी स्कूल बंद हो चुके हैं, जिससे शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता पर गहरा असर पड़ा है. संजय सिंह ने सरकार से इस नीति पर तत्काल पुनर्विचार करने और शिक्षा के क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की मांग की है. उन्होंने नियम 267 के तहत सदन की कार्यवाही स्थगित कर इस विषय पर तत्काल चर्चा की अपील की है.