उत्तर प्रदेश सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के मामले में एक शानदार कदम उठाया है, जो महाकुंभ 2025 के आयोजन को देखते हुए, प्रयागराज के विभिन्न स्थानों पर मियावाकी तकनीक का उपयोग कर घने जंगलों की स्थापना की है. इस पहल का मुख्य उद्देश्य न केवल हवा की गुणवत्ता में सुधार करना बल्कि शहर में हरित क्षेत्र को बढ़ाना और आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए एक स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित करना है.
मियावाकी तकनीक से किया कमाल
Around 56,000 sq. meters of Dense Forests created in Prayagraj in the last two years using Miyawaki Technique
— PIB India (@PIB_India) January 8, 2025
Garbage dumps transformed into lush green forests, aiding environmental conservation, as part of Mahakumbh 2025
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मियावाकी तकनीक: एक प्रभावी समाधान
मियावाकी तकनीक, जो 1970 के दशक में जापानी वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी द्वारा विकसित की गई थी, एक अत्याधुनिक तरीका है जिसके द्वारा छोटे और सीमित स्थानों पर भी घने जंगल विकसित किए जा सकते हैं. इस विधि में पौधों को एक दूसरे के पास लगाया जाता है, जिससे वे तेजी से बढ़ते हैं. इस तकनीक से पेड़ सामान्य रूप से 10 गुना तेज़ी से बढ़ते हैं, जो शहरी क्षेत्रों में एक उपयुक्त समाधान बनाती है.
इस तकनीक का प्रमुख लाभ यह है कि यह प्राकृतिक वनस्पतियों का अनुकरण करती है और इसमें देशी प्रजातियों का उपयोग किया जाता है, जो न केवल जैव विविधता को बढ़ावा देती हैं बल्कि मृदा की गुणवत्ता को भी सुधारती हैं. इसके अलावा, मियावाकी तकनीक द्वारा लगाए गए पेड़ वायुमंडलीय कार्बन को अवशोषित करते हैं और तेजी से बढ़ने के साथ ही समृद्ध जैव विविधता का समर्थन करते हैं.
प्रयागराज में मियावाकी के तहत वृक्षारोपण
नगर निगम ने इस तकनीक का इस्तेमाल करते हुए प्रयागराज के विभिन्न हिस्सों में वृक्षारोपण किया है, जिसमें प्रमुख स्थान नाइनी औद्योगिक क्षेत्र और बसवार शामिल हैं. नाइनी क्षेत्र में लगभग 1.2 लाख पेड़ लगाए गए हैं, जबकि बसवार में 27,000 पेड़ लगाए गए हैं, जो 27 विभिन्न प्रजातियों से संबंधित हैं. इस परियोजना का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह क्षेत्र स्वच्छता अभियान का हिस्सा है, जिससे शहर के सबसे बड़े कचरा डंपिंग यार्ड को साफ किया गया और इसके स्थान पर हरित क्षेत्र विकसित किए गए.
पर्यावरणीय लाभ और वायु गुणवत्ता में सुधार
मियावाकी तकनीक द्वारा विकसित ये घने जंगल न केवल पर्यावरण को सशक्त बना रहे हैं बल्कि वायु गुणवत्ता में भी सुधार कर रहे हैं. यह परियोजना प्रदूषण को नियंत्रित करने, धूल और गंदगी को कम करने, और बुरी गंध को दूर करने में मदद कर रही है. इसके अलावा, इन घने जंगलों के माध्यम से तापमान को भी नियंत्रित किया जा सकता है, जो गर्मियों में दिन और रात के बीच के तापमान में 4 से 7 डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट ला सकता है.
विविध प्रजातियों का समावेश
इस वृक्षारोपण परियोजना में विभिन्न प्रकार के फलदार, औषधीय और सजावटी पौधों का भी समावेश किया गया है. प्रमुख प्रजातियों में आम, महुआ, नीम, पीपल, इमली, अर्जुन, सागवान, तुलसी, आंवला और बेर शामिल हैं. इसके अलावा, गुड़हल, कदंब, गुलमोहर, जंगल जलैबी, बोगनविलिया और ब्राह्मी जैसी सजावटी और औषधीय पौधों की प्रजातियाँ भी लगाई गई हैं. इस प्रकार की विविधता न केवल जैव विविधता को बढ़ावा देती है बल्कि पर्यावरण को भी संतुलित करती है.