उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में 30 साल पहले एक गैंगरेप हुआ था. इस गैंगरेप की पीड़िता ने 12 साल की उम्र में बेटे को जन्म दिया था. अब उसी गैंगरेप के बाद पैदा हुए बेटे ने अपनी मां को न्याय दिलाया है और दोषियों को उनके अंजाम तक पहुंचा दिया है. उस समय नाबालिग रही पीड़िता लाचार थी लेकिन उसने हार नहीं मानी. उसने जो लड़ाई शुरू की थी, उसे पीड़िता के बेटे ने खत्म किया और कोर्ट से दोनों दोषियों को 10-10 साल की सजा दिलवाई.
दरअसल, साल 1994 में जब पीड़िता मात्रा 12 वर्ष की थी. तभी बरेली के दो दरिंदों द्वारा उसका रेप किया गया था. तब से आज तक पीड़िता न्याय की लड़ाई लड़ती रही और उसे न्याय मिलने में 30 वर्ष लग गए. इस न्याय की लड़ाई में महिला का साथ उसके बेटे ने भरपूर तरीके से निभाया है. 1994 में हुए गैंगरेप के बाद पीड़िता ने शासन-प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई थी. हालांकि, लड़ाई लंबी चली और पीड़िता अपनी आंखों के सामने अपने गुनहगारों को सजा दिलवाने में कामयाब रही.
पीड़िता ने 17 साल बाद अपने बेटे को पूरी बात बताई. जब बेटे को पूरी बात पता चली तो मामले ने एक नया मोड़ ले लिया. पीड़िता के बेटे ने मार्च 2021 में सदर बाजार थाना में दोनों आरोपियों यानी कि नकी हसन और गुड्डू के ऊपर रेप केस दर्ज करवाया. बाद में दोनों आरोपियों ने आरोपों से इनकार कर दिया. जिसके बाद कोर्ट ने डीएनए टेस्ट जांच कराने की बात कही. जांच के बाद डीएनए मैच हुआ और महिला के साथ रेप की पुष्टि हो गई और दोनों आरोपियों का दोष साबित हो गया.
शाहजहांपुर कोर्ट ने 30 साल पहले हुए गैंगरेप के मामले में ने दोनों आरोपी भाइयों को 10-10 साल की सजा सुनाई है. 30 साल पहले यानी कि 1994 में हुई गैंगरेप की इस घटना के 27 साल बाद पीड़िता के बेटे ने शिकायत दर्ज कराई. शिकायत पर आरोपियों ने रेप से इनकार कर दिया था. कोर्ट के आदेश पर पीड़िता के बेटे का डीएनए टेस्ट कराया गया. इसमें दोनों आरोपियों का डीएनए उससे मैच हो गया. डीएनए मैच होने पर जिले के अपर सत्र न्यायाधीश ने दोनों भाइयों को 10-10 साल की सजा सुनाई है. साथ ही साथ 30-30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
बेटे ने मां को दी हिम्मत
पीड़िता ने न्याय मिलने पर खुशी जताते हुए बताया कि आज तक वह उस डर के साए में जी रही थी. पीड़िता ने कहा, 'बरेली का नाम सुनते ही मन में भय पैदा हो जाता था. वहां का नाम सुनते ही मेरे मन में डर और घबराहट पैदा होने लगती थी.' उन्होंने बताया कि यह उनका बेटा ही था जिसने उन्हें उनके बलात्कारियों से लड़ने की ताकत दी.
महिला ने बताया कि वह मात्रा 12 साल की थी. उस वक्त वह अपने दीदी-जीजा के घर रहती थी. उसकी दीदी का घर बरेली में था. पीड़िता के मुताबिक, उसके दीदी और जीजा दोनों सरकारी कर्मचारी थे. वे दोनों लोग सुबह ही नौकरी पर चले जाया करते थे. वहीं घर के बगल में दो युवक रहा करते थे. जिनका नाम नकी हसन और गुड्डू था. मौका पाते ही इन दोनों दरिंदों ने घर में घुसकर पीड़िता के साथ बलात्कार किया.
इन दोनों ने बाद में पीड़िता को डराया-धमकाया. पीड़िता ने डर की वजह से किसी को भी इसकी सूचना नहीं दी और आरोपी लगातार एक महीने हर रोज पीड़िता का रेप करते रहे. उसी बीच पीड़िता ने गर्भवती हो गई. जब यह बात उनकी बहन और बहनोई को पता चली तो वे लोग आरोपियों के पास गए और शिकायत की. आरोपियों ने दोनों को धमकी देकर चुप करवा दिया. समाज के डर से बहन-बहनोई पीड़िता को लेकर रामपुर चले गए. वहां उसने एक बेटे को जन्म दिया. बाद में बेटे को रिश्तेदारों को दे दिया गया. फिर काफी दिनों के बाद पीड़िता की शादी कर दी गई.