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जयपुर में अचानक छुट्टी पर चली गईं हजारों कामवाली बाइयां, आखिर क्या है वजह?

जयपुर में घरों में काम करने वाली दूसरी राज्यों की महिलाएं अचानक छुट्टी पर चली गई हैं. इसका कारण मतदाता सूची की विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया (SIR) है, जिसके लिए उन्हें अपने घर लौटना पड़ा.

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Edited By: Kuldeep Sharma
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Courtesy: ai

जयपुर: राजधानी जयपुर में घर-घर काम करने वाली हजारों महिलाएं अचानक अपने काम से छुट्टी पर चली गई हैं. ज्यादातर महिलाएं दूसरे राज्यों, खासकर पश्चिम बंगाल की हैं. दरअसल, विभिन्न राज्यों में मतदाता सूचियों की विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया (SIR) चल रही है.

इसके तहत वोटर सूची में नाम जुड़वाना और दस्तावेज दिखाना जरूरी है. इसलिए महिलाएं अपने पैतृक स्थानों की ओर रवाना हुई हैं. इससे घरों और ऑफिसों में साफ-सफाई व अन्य घरेलू काम प्रभावित हो रहा है.

50 हजार महिलाएं करती हैं घरेलू काम

जयपुर में करीब 50 हजार महिलाएं घरेलू कामकाजी के रूप में काम करती हैं. इनमें से अधिकतर पश्चिम बंगाल की हैं. SIR प्रक्रिया में नाम जोड़ने और दस्तावेज दिखाने के लिए इन्हें अपने घर लौटना अनिवार्य हो गया है. घर के कामकाज पर इसका असर साफ-साफ दिख रहा है. गृहिणियों को अब झाड़ू-पोंछा और बर्तन खुद करने पड़ रहे हैं, क्योंकि कामकाजी महिलाएं अनुपस्थित हैं.

क्या है इसके पीछे का कारण

दरअसल, कई राज्यों में मतदाता सूचियों की विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया (एसआइआर) अपनाई जा रही है. मतदाता सूची में नाम अपडेट कराने के लिए महिलाएं अपने पैतृक स्थानों में जा रही हैं. रतन बर्मन ने बताया कि वे खुद वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए घर जा रहे हैं. वहीं, बापू मांझी ने बताया कि उन्होंने ऑनलाइन ही फॉर्म भर दिया है. रमेश कहते हैं कि जिनके घर का सदस्य वहां नहीं है, उनके लिए पैतृक स्थान जाना मजबूरी बन गया है. इससे स्थानीय परिवारों को घरेलू मदद में मुश्किल हो रही है.

ऑफिस-प्रतिष्ठानों पर भी असर

इस बदलाव का असर केवल घरों तक सीमित नहीं है. निजी और सरकारी कार्यालयों में कामकाजी महिलाओं के साथ-साथ घर का काम भी अब बाधित हो गया है. कुछ परिवार अधिक भुगतान करके दूसरी महिलाएं रख रहे हैं. कार्यालयों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में भी सफाई, बर्तन और अन्य घरेलू सेवाओं के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण बन गई है.

अब खुद करना पड़ रहा है काम

घर की जिम्मेदारियां अधिकांश गृहिणियों पर आ गई हैं. भारती जोशी ने बताया कि वह परिवार सहित अपने गांव जा रही हैं और वापस आने में लगभग 15 दिन लगेंगे. इसी वजह से घर में कामकाजी मदद की कमी हो गई है. गृहिणियों को झाड़ू-पोंछा, बर्तन धोना और अन्य घरेलू काम खुद करना पड़ रहा है.

घर लौटने की मजबूरी

कामकाजी महिलाएं अपनी जरूरतों और सरकारी प्रक्रियाओं के बीच फंसी हैं. परिवार और वोटर सूची से जुड़े दस्तावेज उनके लिए प्राथमिकता बन गए हैं. इससे न केवल गृहिणियों को परेशानी हो रही है, बल्कि घरेलू कामकाजी श्रमिकों की अनुपस्थिति ने शहर में अस्थायी व्यवधान पैदा कर दिया है.

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