Rajasthan Free Medicine Scheme: राजस्थान में सरकारी अस्पतालों की मुफ्त दवा योजना एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है. सीकर और भरतपुर में पहले भी खांसी सिरप पीने से बच्चों की तबीयत बिगड़ने के मामले सामने आ चुके हैं. अब भरतपुर जिले के वैर क्षेत्र में 2 साल के मासूम की मौत ने इस विवाद को और गहरा कर दिया है.
यह दर्दनाक घटना वैर तहसील के लुहासा गांव की है. मृतक बच्चे के पिता निहाल सिंह ने बताया कि उनके दो बेटे हैं. 23 सितंबर को दोनों बच्चों को खांसी-जुकाम की शिकायत पर वैर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया. वहां डॉक्टर बबलू मुद्गल ने कुछ दवाइयों के साथ खांसी का सिरप भी लिख दिया. परिवार घर लौटा और छोटे बेटे तीर्थराज को सिरप पिला दिया. सिरप पीने के बाद बच्चा सो गया लेकिन चार घंटे तक भी होश में नहीं आया.
बच्चे की हालत बिगड़ने पर परिजन उसे तुरंत वैर उपजिला अस्पताल ले गए, फिर भरतपुर अस्पताल रेफर किया गया. हालत लगातार गंभीर होने पर 24 सितंबर की शाम को जयपुर के जेके लोन अस्पताल भेजा गया. यहां डॉक्टरों ने 27 सितंबर की सुबह उसे मृत घोषित कर दिया.
इस घटना ने इलाके में दहशत फैला दी है. परिजनों का आरोप है कि सरकारी अस्पताल से दी गई खांसी सिरप पीने के बाद ही बच्चे की तबीयत खराब हुई. उन्होंने कहा कि जब प्रदेश में खांसी सिरप से जुड़े मामलों की खबरें सामने आईं तभी उन्हें समझ आया कि उनके बच्चे की मौत भी इसी वजह से हुई.
वैर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. बीपी शर्मा ने मामले की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि बच्चे को एंटीबायोटिक टैबलेट और खांसी सिरप दी गई थी. मीडिया रिपोर्ट सामने आने के बाद इस सिरप का वितरण रोक दिया गया है और मामले की जांच की जा रही है. राजस्थान में मुफ्त दवा योजना लंबे समय से चल रही है लेकिन हाल में सामने आए इन मामलों ने इसकी गुणवत्ता और सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
सीकर और भरतपुर में पहले भी बच्चों की हालत बिगड़ने के बाद अब वैर में एक और मासूम की मौत ने ग्रामीणों में भय पैदा कर दिया है. परिजन दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं और सिरप की पूरी जांच करवाने की अपील कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अगर सरकारी अस्पतालों से दी जाने वाली दवाएं ही सुरक्षित नहीं होंगी तो आम जनता इलाज के लिए कहां जाएगी.