Alwar Kidnapping Case: राजस्थान के अलवर जिले में गोविंदगढ़ थाना पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जो खुद को पुलिस अधिकारी बताकर लोगों का अपहरण कर फिरौती वसूलता था. यह कोई अचानक हुई घटना नहीं थी, बल्कि कई महीनों की साजिश और गहरी योजना का नतीजा थी. जांच से खुलासा हुआ कि गिरोह ने पूरी रणनीति बनाकर पहचान छुपाई और संगठित तरीके से अपराध को अंजाम दिया.
घटना 28 जून की रात की है जब चार से पांच लोग लाल बत्ती लगी गाड़ी में धांधोली स्थित एक ई-मित्र दुकान पर पहुंचे. उन्होंने खुद को हरियाणा पुलिस का सदस्य बताया. वर्दी और लाल बत्ती के कारण दुकानदारों को भ्रम हुआ और वे विरोध नहीं कर सके. गिरोह ने ई-मित्र संचालक साजिद को डराकर गाड़ी में बैठा लिया और किसी अज्ञात स्थान पर ले गए. सब कुछ इतनी तेजी से हुआ कि कोई आसपास का व्यक्ति हस्तक्षेप नहीं कर सका.
(थाना गोविंदगढ़)
फर्जी पुलिस बनकर लोगों का अपहरण करनी वाली गैंग का फर्दाफाश कर 02 आरोपी गिरफ्तार।#RajasthanPolice #BNSS #BNS #BSA #भारतीय_न्याय_संहिता#नवीन_आपराधिक_कानून#NewCriminalLaw2023 pic.twitter.com/n3k7a9VFlS— Alwar Police (@AlwarPolice) October 18, 2025Also Read
- माउंट आबू में कचरे के ढेर से खाना तलाशता तेंदुआ, वन अधिकारी ने शेयर किया ‘दर्दनाक’ वीडियो
- Mewar Tradition On Dhanteras: पीली मिट्टी बन जाती है सोना! मेवाड़ की धनतेरस परंपरा की अद्भुत कहानी; जानें क्यों है खास
- Jaipur Gold Sweets: ज्वेलरी बॉक्स में सजी 'स्वर्ण प्रसादम' मिठाई बनी दिवाली की शान, कीमत जानकर उड़ जाएंगें आपके होश
पुलिस की जांच में सामने आया कि गिरोह का निशाना छोटे व्यवसायी और अकेले काम करने वाले लोग थे जिनके पास नकदी और इलेक्ट्रॉनिक सामान आसानी से उपलब्ध होता है. अपराधियों ने मोबाइल और कंप्यूटर भी लूटे ताकि सबूत मिटाए जा सकें. साजिद के परिवार से गिरोह ने ₹4 लाख की फिरौती मांगी. डर और धमकी के चलते परिजनों ने रकम दे दी, जिसके बाद साजिद को छोड़ा गया.
गिरोह ने पकड़े जाने से बचने के लिए आधुनिक तकनीकों का दुरुपयोग किया. उन्होंने बर्नर सिम, नकद लेनदेन और ग्रामीण मार्गों का इस्तेमाल किया. पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल कॉल डिटेल्स और बैंक ट्रांजैक्शन के आधार पर जांच को आगे बढ़ाया. तकनीकी टीम ने आरोपियों की गतिविधियों का पूरा नक्शा तैयार किया. 18 अक्टूबर को पुलिस ने दो आरोपियों साजिद उर्फ काला मेव और निरजू गुर्जर को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में उन्होंने कई अहम खुलासे किए हैं. पुलिस अब गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में है जो अब भी फरार हैं.
पुलिस का मानना है कि यह गिरोह लाल बत्ती और पुलिस वर्दी का इस्तेमाल कर विश्वास पैदा करता था ताकि लोग आसानी से उनके जाल में फंस जाएं. जांच टीम को शक है कि गिरोह के तार स्थानीय दलालों, रियल एस्टेट एजेंटों और किराये के नेटवर्क से भी जुड़े हो सकते हैं. पुलिस अब इन पहलुओं पर फोकस कर रही है ताकि पूरी साजिश को बेनकाब किया जा सके.