Punjab Assembly Session: पंजाब की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है. 11 जुलाई 2025 को हुए विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन सदन में जो हुआ, उसने राज्य की राजनीतिक सरगर्मी को और तेज कर दिया है. मुख्यमंत्री भगवंत मान और विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा के बीच तीखी बहस ने सत्र को हंगामेदार बना दिया. कांग्रेस ने सदन में जोरदार विरोध प्रदर्शन करते हुए वॉकआउट कर दिया और सरकार पर गंभीर आरोप लगाए.
विधानसभा सत्र का उद्देश्य जहां कुछ अहम विधेयकों को पारित कराना था, वहीं इस सत्र में सरकार और विपक्ष के बीच जबरदस्त टकराव देखने को मिला. सीएम मान ने विपक्षी नेता बाजवा को कटघरे में खड़ा करते हुए तीखे व्यंग्य किए, तो वहीं बाजवा ने भी सरकार को मंच का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए सदन की गरिमा पर सवाल खड़े कर दिए.
विधानसभा में मुख्यमंत्री भगवंत मान का भाषण शुरू होते ही विपक्ष की ओर से शोरगुल शुरू हो गया. सीएम मान ने प्रताप बाजवा पर तंज कसते हुए कहा कि उन्हें शायद पंजाबी कहावतें समझ नहीं आतीं. उन्होंने आरोप लगाया कि बाजवा हर मुद्दे को धर्म से जोड़ते हैं, जो राज्य के लिए नुकसानदायक है.
कार्यवाही की शुरुआत में ही कांग्रेस ने भारी हंगामा किया. सरकार की कार्यशैली और संजय वर्मा को श्रद्धांजलि न दिए जाने को लेकर विरोध किया गया. इसके बाद कांग्रेस ने सदन से वॉकआउट किया और बाहर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.
प्रताप सिंह बाजवा ने सीएम मान से पूछा कि अगर सरकार बांधों की सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ की बजाय पंजाब पुलिस को उचित मानती है, तो विधानसभा परिसर में अब भी सीआईएसएफ क्यों तैनात है? उन्होंने इसे सरकार का डर करार दिया.
सत्र के दौरान पंजाब सरकार धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी पर सख्त कानून लाने की तैयारी में है. इसके अलावा नंगल डैम की सुरक्षा से संबंधित पांच अहम विधेयक भी पेश किए जाएंगे, जिससे सरकार की प्राथमिकताओं का अंदाजा लगाया जा सकता है.
वित्त मंत्री हरपाल चीमा और नेता विपक्ष प्रताप बाजवा के बीच भी जबरदस्त बहस हुई. चीमा ने माफिया मुख्तार अंसारी को पंजाब की जेल में रखने के विपक्षी आरोपों पर जवाब दिया. साथ ही उन्होंने मजीठिया प्रकरण का जिक्र करते हुए बाजवा की कथनी-करनी पर सवाल उठाए.
सत्र के दौरान पंजाब सरकार के मंत्रियों हरपाल सिंह चीमा और अमन अरोड़ा के खिलाफ मामला दर्ज होने की बात भी उठी. प्रताप बाजवा द्वारा दर्ज शिकायत में इन नेताओं पर वीडियो से छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया है. इसके आधार पर चंडीगढ़ साइबर सेल ने FIR दर्ज कर ली है.
पंजाब विधानसभा का यह विशेष सत्र केवल विधेयकों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह सत्ता और विपक्ष के बीच शक्ति प्रदर्शन का मंच बन गया. आने वाले समय में इन घटनाओं का असर न सिर्फ विधानसभा की कार्यवाही पर, बल्कि राज्य की राजनीति पर भी गहरा दिखेगा.