मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में दो सरकारी स्कूलों के पेंटिंग बिलों में अनियमितता का मामला सामने आने के बाद प्रशासन ने कई जांच शुरू की हैं. सोशल मीडिया पर वायरल हुए इन बिलों में चौंकाने वाले दावे किए गए हैं. एक स्कूल में केवल चार लीटर पेंट के लिए 168 मजदूरों और 65 राजमिस्त्रियों को काम पर लगाने का दावा है, जबकि दूसरे स्कूल में 20 लीटर पेंट के लिए 275 मजदूर और 150 राजमिस्त्री लगाए गए. इस खुलासे के बाद जनता में आक्रोश फैल गया है.
वायरल बिलों ने खोली अनियमितता की पोल
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, शहडोल जिले के ब्यौहारी तहसील के साकांडी और निपानिया गांवों के सरकारी स्कूलों से जुड़े ये बिल सोशल मीडिया पर वायरल हो गए. दस्तावेजों के अनुसार, साकांडी स्कूल में चार लीटर तेल पेंट के लिए 1.07 लाख रुपये और निपानिया स्कूल में 20 लीटर पेंट के लिए 2.3 लाख रुपये निकाले गए. इतनी कम मात्रा में पेंट के लिए इतनी बड़ी राशि और इतने सारे मजदूरों की नियुक्ति ने भ्रष्टाचार के आरोपों को हवा दी.
सरकार और जिला प्रशासन ने शुरू की जांच
राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने इस मामले को गंभीरता से लिया और प्रमुख सचिव तथा लोक शिक्षण आयुक्त को जांच के निर्देश दिए. साथ ही, शहडोल जिला प्रशासन ने भी अलग से जांच शुरू की है. जिला कलेक्टर केदार सिंह ने ब्यौहारी के एसडीएम नरेंद्र सिंह धुर्वे को जांच की जिम्मेदारी सौंपी है. केदार सिंह ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, "जांच का आदेश दे दिया गया है, और जिला शिक्षा अधिकारी के साथ-साथ स्कूलों के प्राचार्यों को नोटिस जारी किए गए हैं.
साकांडी गांव के स्कूल की जांच रिपोर्ट हमें प्राप्त हो चुकी है." उन्होंने आगे कहा, "नोटिस का जवाब आज शाम तक मिलने की उम्मीद है. भले ही निर्माण और मरम्मत का काम चल रहा हो, सामग्री के लिए भुगतान निकाला जा सकता है, लेकिन मजदूरों का भुगतान कार्य पूरा होने के बाद ही किया जा सकता है."
जनता में आक्रोश, पारदर्शिता की मांग
यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद जनता में भारी नाराजगी देखी जा रही है. लोग सरकारी धन के दुरुपयोग और प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल उठा रहे हैं.