मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के भितरवार क्षेत्र में धाखड़ खिरिया गांव में आयोजित एक बौद्ध धर्म सम्मेलन ने तूल पकड़ लिया है. 6 से 8 जून 2025 तक चले तीन दिवसीय सम्मेलन में लोगों को हिंदू देवी-देवताओं को न मानने और उनकी पूजा न करने की शपथ दिलाए जाने का मामला सामने आया है. इस घटना के बाद स्थानीय स्तर पर विवाद गहरा गया है, और कई लोगों ने धार्मिक भावनाएं आहत होने की शिकायत की है.
96 गांव जाटव समाज सुधार समिति द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया. सम्मेलन में बौद्ध धर्म के उपदेशक और बुद्ध भूमि धम्मदूत संघ, भोपाल के अध्यक्ष भदंत शाक्यपुत्र सागर महाथेरो ने उपस्थित लोगों को शपथ दिलाई. शपथ में कहा गया, मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश को ईश्वर नहीं मानूंगा, और न ही हिंदू देवी-देवताओं की पूजा करूंगा. इस शपथ का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विवाद ने तूल पकड़ा.
आयोजकों का दावा
सम्मेलन के आयोजकों ने सफाई देते हुए कहा कि उनका मकसद किसी धर्म का अपमान करना या धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था. उनका कहना है कि यह आयोजन सामाजिक सुधार और जाति आधारित भेदभाव के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए किया गया था. आयोजकों ने दावा किया कि शपथ का उद्देश्य बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को अपनाने और सामाजिक समानता को बढ़ावा देना था, न कि किसी अन्य धर्म के खिलाफ विद्वेष फैलाना.
स्थानीय लोगों और संगठनों की प्रतिक्रिया
वायरल वीडियो के बाद कई स्थानीय लोग और हिंदू संगठन इस आयोजन के खिलाफ मुखर हो गए हैं. उनका कहना है कि इस तरह की शपथ धार्मिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा सकती है और सनातन धर्म के प्रति असम्मान को दर्शाती है. कुछ लोगों ने इसे भारत की सांस्कृतिक एकता को कमजोर करने की साजिश तक करार दिया. सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं, जहां लोगों ने सरकार से इस तरह के आयोजनों पर सख्त कार्रवाई की मांग की.
पुलिस और प्रशासन का रुख
ग्वालियर पुलिस ने इस मामले में शिकायत मिलने पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है. पुलिस का कहना है कि वे वायरल वीडियो और शपथ की सामग्री की जांच कर रहे हैं. अगर यह पाया गया कि आयोजन में किसी भी तरह से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने या सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की गई है, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी. हालांकि, अभी तक इस मामले में कोई औपचारिक प्रकरण दर्ज नहीं किया गया है.