क्या आप दिनभर की मेहनत के बाद थककर चूर हो जाते हैं? तो सोचिए अगर रोजाना काम के घंटे 10 हो जाएं और ओवरटाइम भी 12 घंटे तक बढ़ जाए तो ज़िंदगी कैसी होगी! कर्नाटक सरकार का नया प्रस्ताव इसी दिशा में बढ़ता नजर आ रहा है. सरकार कर्नाटक शॉप्स एंड कमर्शियल एस्टेब्लिशमेंट्स एक्ट, 1961 में बदलाव की तैयारी कर रही है, जिससे काम के घंटे और ओवरटाइम की सीमा को कानूनी रूप से बढ़ाया जा सके.
इस प्रस्ताव के आते ही सोशल मीडिया पर बहस शुरू हो गई है. लोग पूछ रहे हैं, क्या अब इंसान मशीन बनने जा रहा है? चर्चाओं में इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति का नाम भी सामने आया है, जिन्होंने पहले भारतीय युवाओं से हर हफ्ते 70 घंटे काम करने की अपील की थी. अब ऐसा लग रहा है कि उनकी बात धीरे-धीरे हकीकत बनती जा रही है.
सरकार चाहती है कि काम के घंटे 9 से बढ़ाकर 10 कर दिए जाएं और ओवरटाइम की सीमा 12 घंटे तक बढ़े. साथ ही, तीन महीने में ओवरटाइम की अधिकतम सीमा 50 से बढ़ाकर 144 घंटे करने की बात भी शामिल है.
जैसे ही यह खबर सामने आई, सोशल मीडिया पर यूजर्स ने नारायण मूर्ति को याद करते हुए मीम्स और प्रतिक्रियाएं देना शुरू कर दिया. किसी ने लिखा, नारायण मूर्ति का सपना सच होने वाला है, तो किसी ने तंज कसा, अब इसे 'नारायण मूर्ति आवर्स' कहा जाना चाहिए.
विशेषज्ञों और ट्रेड यूनियनों का मानना है कि इस बदलाव से कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक जीवन और पारिवारिक संतुलन पर गहरा असर पड़ेगा. कई संगठन इसे ‘आधुनिक गुलामी’ कह रहे हैं.
मजदूर संघ और सिविल सोसायटी ग्रुप्स इस प्रस्ताव को श्रमिकों के अधिकारों के खिलाफ मानते हैं. उनका कहना है कि सरकार सिर्फ कारोबार की सहूलियत देख रही है, जबकि कर्मचारियों का जीवन मुश्किल में डाला जा रहा है.