Narayana Murthy: कर्नाटक सरकार ने राज्य के श्रम कानूनों (labor law )में बड़ा बदलाव करने का प्रस्ताव रखा है, जिसके तहत अब कर्मचारियों को 12 घंटे तक काम करना पड़ सकता है. यह प्रस्ताव सामने आते ही ट्रेड यूनियनों और श्रमिक संगठनों में हड़कंप मच गया है. ट्रेड यूनियन नेताओं ने इसे आधुनिक गुलामी करार दिया है.
सरकार ‘कर्नाटक शॉप्स एंड कमर्शियल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट’ में संशोधन कर रही है, जिसके बाद काम करने के अधिकतम घंटे 10 से बढ़ाकर 12 घंटे किए जा सकते हैं. साथ ही, ओवरटाइम भत्ता भी बढ़ाने की बात कही जा रही है, लेकिन कर्मचारी संगठनों का मानना है कि यह बदलाव उनकी नौकरी की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर भारी पड़ सकता है.
कर्नाटक IT यूनियन (KITU) ने सरकार के इस प्रस्ताव का खुलकर विरोध किया है. यूनियन नेताओं सुहास अडिगा और लेनिल बाबू ने श्रम विभाग की बैठक में भाग लेते हुए चेतावनी दी कि 12 घंटे की शिफ्ट लागू होने से 2 शिफ्ट सिस्टम लागू होगा, जिससे कर्मचारियों की संख्या में एक-तिहाई तक की कटौती हो सकती है.
KITU का आरोप है कि यह सरकार कर्मचारियों को मशीन समझ रही है. यह बदलाव इंसानियत के खिलाफ है और सिर्फ कॉर्पोरेट मालिकों को खुश करने के लिए किया जा रहा है.
KITU ने 'स्टेट इमोशनल वेलबीइंग रिपोर्ट 2024' का हवाला देते हुए बताया कि 25 साल से कम उम्र के 90% कॉर्पोरेट कर्मचारियों को एंग्जायटी की शिकायत है. ऐसे में 12 घंटे की ड्यूटी न सिर्फ शरीर पर असर डालेगी, बल्कि मानसिक रूप से भी कर्मचारियों को तोड़ देगी.
सरकार के इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर इन्फोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति का पुराना बयान भी वायरल हो गया, जिसमें उन्होंने हफ्ते में 70 घंटे काम करने की सलाह दी थी. एक यूजर ने लिखा, 'अब कर्नाटक सरकार IT सेक्टर के लिए 12 घंटे की शिफ्ट ला रही है. इसे ‘ Narayan Murthy hours’ कह देना चाहिए.' दूसरे ने लिखा, 'नारायण मूर्ति कहीं साइड में नाच रहे होंगे.'