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अपने गृह राज्य में कांग्रेस की दुर्गति देख निराश खड़गे! कलह सुलझाने के लिए डाला दबाव

कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर कांग्रेस में जारी विवाद के बीच पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने दोबारा दबाव डाला. सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार की ब्रेकफास्ट मीटिंग के बावजूद मुद्दा अनसुलझा है, जबकि राहुल गांधी फिलहाल बदलाव के पक्ष में नहीं हैं.

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Edited By: Kanhaiya Kumar Jha
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Courtesy: Social Media

नई दिल्ली: कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर कांग्रेस में जारी विवाद ने एक बार फिर सियासी हलचल बढ़ा दी है. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हफ्ते भर के अंदर दूसरी बार इस संकट को सुलझाने के लिए कांग्रेस नेतृत्व पर दबाव डाला है. पहले उन्होंने कहा था कि 1 दिसंबर तक इस मसले का समाधान निकाला जाएगा, लेकिन फिलहाल कोई ठोस हल नहीं निकला है.

सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच हाल ही में ब्रेकफास्ट मीटिंग हुई थी, जिसमें मुख्यमंत्री पद और सत्ता साझाकरण के मुद्दे पर चर्चा की गई. इस बैठक के बाद मामला फिलहाल कुछ दिनों के लिए टाल दिया गया है, लेकिन खरगे अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं.

सत्ता साझाकरण का वादा

NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, खरगे ने 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता साझाकरण के लिए किए गए वादे को याद दिलाया. उन्होंने कहा, “यह वादा मेरी मौजूदगी में किया गया था और उसका सम्मान होना चाहिए. यदि यह नहीं हुआ, तो मेरी अपने राज्य में विश्वसनीयता पर असर पड़ेगा.” यह स्पष्ट संदेश है कि कांग्रेस नेतृत्व को इस मामले में त्वरित निर्णय लेना जरूरी है.

ब्रेकफास्ट मीटिंग और आगे की रणनीति

सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच शनिवार को मुख्यमंत्री के आवास पर ब्रेकफास्ट मीटिंग हुई थी. सूत्रों के अनुसार, मंगलवार को बेंगलुरु में दूसरी ब्रेकफास्ट मीटिंग होने जा रही है, इस बार डीके शिवकुमार के घर पर. दोनों नेताओं के बीच सत्ता बदलाव और कार्यकाल बंटवारे पर बातचीत फिर से होगी.

कांग्रेस नेतृत्व की स्थिति

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि डीके शिवकुमार को दो हफ्ते के भीतर दिल्ली बुलाया जाएगा ताकि उन्हें भरोसा दिया जा सके कि उनकी सत्ता हस्तांतरण की मांग पर विचार किया जाएगा. हालांकि, राहुल गांधी फिलहाल मुख्यमंत्री पद में बदलाव के पक्ष में नहीं हैं. उनका मानना है कि मिड-टर्म बदलाव पार्टी के हित में नहीं है और इससे राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो सकती है.

राजनीतिक असर और तुलना

कांग्रेस इस विवाद के दूरगामी असर को भी देख रही है. कर्नाटक में जारी विवाद का असर राजस्थान के सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच हुए झगड़े की तरह पार्टी की छवि पर पड़ सकता है. पार्टी नेतृत्व इस संकट को जल्द सुलझाने के लिए सक्रिय हो गया है, लेकिन फिलहाल निर्णायक हल का इंतजार है.